Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 30
________________ सुमित्र // 29 // DOGODDDDDDDDDDDEDED . अर्थ-आ प्रमाणे विचारीने हे दयाळु कुमार! पाणी उपरनो दयाने लइ हुँ विद्याना बळ्थी निरंतर दान आपुं छु. // 39 // सुमित्रः सादरं तस्य, / निपीय मधुरां गिरं // साधु साधु तमित्यूचे / त्वया दानैर्जितं जगत् // 40 // के अर्थ-आदरपूर्वक तेनी मधुर वाणी- पान करीने सुमित्रकुमार बोल्यो के-'सारुं, सारं, बहु सारु, तमे दानवडे जगतने जीती लीधुं छे. // 40 // पुनः पृष्टं कुमारेण / प्रेरितेन सुहृद्विरा // दानाहेयं न वा विद्या / कस्मैचिन्मे निवेद्यतां // 41 // ... अर्थ-आम कहीने पछी मित्रनी प्रेरणाथी सुमित्रे ते दातारने पूछ्यु के-'आ तमारी अक्षयपात्रनी विद्या कोइने दान आफ्वा | योग्य छे के नहीं? // 41 // श्रुत्वेति सोऽवदद्रुप-जितमार कुमार भोः॥कियत्कालं परीक्षायां प्रभृताहेयमदभुता // 42 // ... ___ अर्थ-ते सांभळोने रुपबडे जेणे कामदेवने जीत्यो छे एवो ते पुरुष बोल्यो के-'हे कुमार ! केटलाक काळ सुधी पासे राखीने परीक्षा कर्या पछी आ अद्भुत विद्या आपी शकाय तेम छे. // 42 // निशम्येति जिघृक्षुस्तां / विद्यां विश्वजनेष्टदां / सूरः सुमित्रमापृच्छय / स्थितो विद्याभृतोंतिके // 43 // अर्थ-आ प्रमाणेनो उत्तर सांभळीने विश्वजन- इष्ट करनारी आं विद्या मेळवकानो इच्छाथी सूर नामनो मित्र कुमारनी रजा लइने ते विद्यावारीनी पासे रह्यो. // 43 // एवं मित्रैश्चतुर्भिस्तै / रहितोऽप्यग्रतोऽसियुक॥ सुमित्रः संचरन्न। लोकपालैर्विनेंद्रवत // 44 // .. COOOOOOOODOOBDOORDED . 29 // PP A Gunratnasun MS. Jun Gun Aaradhak Trust

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