Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 44
________________ सुमित्र चरित्रम् // 43 // DDDDDDDDDDDDDDDDDDDDEDD जलकेलिमथो नद्या-मेकदा कुर्वतोस्तयोः // जढे प्रियंगुमंजर्याः / कल्लोले कंचुकं तु यत् // 4 // 9 अर्थ-एकदा नदीमा पेसीने जळक्रीडा करतां मियगुमंजरीनो किनारे मूकेलो कंचुक जळ-कल्लोलमां तणाइ गयो. // 4 // पयःक्रीडां गतव्रीडां / कृत्वा तीरमुपागतो // सा खवेषे न चैक्षिष्ट / दिव्यं कूर्पासकं खकं // 5 // ___अर्थ-लज्जारहितपणे जळकोडा करोने किनारापर आव्या त्यारे प्रियंगुमंजरीए पोताना कपडामां कंचुक न दीठो // 5 // ततो नृपांगजं प्राह / स्वामिन् स मम कंचुकः / / अत्रैवासीद्गतः क्वापि / ज्ञायते नैव दृश्यतां // 6 // ___अर्थ-एटले तेणे राजकुमारने कयु के-'हे स्वामिन् ! मारो कंचुक अहींज मूक्यो हतो ते क्यां गयो तेनी खबर पडती नथी. सुमित्रः सर्वतः पश्यन् / जलस्थलनभःस्वपि // नो लेभे कंचुकं रत्नं / बोधिबीजमभव्यवत् // 7 // अर्थ-ते सांभळीने सुमित्रे जळमां, स्थळमां, आकाशमां सर्वत्र जोयु, पण अभव्य जीव जेम बोधिबीज न पामे तेम तेनो कंचुक मळी शक्यो नहीं. // 7 // ततः कुमारस्तामूचे / प्रिये चल गृहप्रति // अन्येऽपि बहवः संति / तादृशा एव कंचुकाः // 8 // अर्थ-एटले कुमारे तेने का के-'हे पिया ! महेल तरफ चाल, त्यां आ कंचुकनी जेवा बोजा घणा कंचुको छे, // 8 // | तन्मध्ये रोचते तुभ्यं / यस्त्वया ग्राह्य एव सः॥ इत्युक्त्वा स तया साकं / समायातः स्ववेश्मनि // 9 // - अर्थ-तेमाथी तने गमे ते ग्रहण करजे.' आ प्रमाणे कहीने पिया साथे ते राजमहेलमा आन्यो. // 9 // DODDDDDDDDARDODOODOOD 11- PP.AC.Gunratnasun M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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