Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ सुमित्र // 34 // DOODDDDDDIGEODEODEEEEED __अर्थ-सर्पनी जेवा वांका एना कंश छे, मध्यभाग माठा चित्तनी जेवो तुच्छ छे, हृदयमा रहेला उच्च मनोरथ जेवा उंचा | एना स्तनयुगल छे. // 64 // . सरला नासिका ह्यस्याः / साधूनां चित्तवृत्तिवत् ॥प्रलंबः केशपाशोऽस्या। मैत्रीभावः सतामिव // 65 // - अर्थ-साधुजननी चित्तवृत्तिनी जेवी सरल एनी नासिका छे, सज्जनोना मैत्रीभाव जेवो पलंब एनो केशपाश छे. / / 65 // लोचनद्वितयं स्निग्धं / रागिण्या इव मानसं // कटाक्षालोकनं त्वस्या। वक्रं दुर्जनकृत्यवत // 66 // अर्थ-रागिणीना मानसनी जेवा स्निग्ध एना बे लोचन छे, दुर्जनना कृत्यनी जेबो वक्र एनो कटाक्षालोक छे. // 66 // प्रवालदलवद्धाति / सरागोऽधरपल्लवः // गले रेखात्रयं स्त्रीणां / जयादिव जगतत्रये // 17 // .. अर्थ-प्रवाळना दळ जेवा रक्त एना अधरपल्लव शोभे छे. जगत्त्रयनो जय मेळवबाथी मळेली होय एवी एना गळे त्रण रेखाओ छे. // 67 // सोकुमार्य शरीरेऽस्याः / शालिग्रामसुवर्णवत् // रंभास्तंभोपमं जंघा-युगं चलनमंजुलं // 68 // ___ अर्थ-सुवर्णना शालिग्राम जेवु एना शरीरमा सौकुमार्य छे. केळना स्तंभ जेवु एनुं जंघायुग्म छे अने मंजुल एवं चलन छे.॥ कुमारस्तु विलोक्यना-मिति सर्वांगसुंदरीं // गाढानुरक्तया दृष्ट्या / निरीक्षेती वदत्यसौ // 69 // अर्थ-आ प्रमाणे सर्वासुंदर एवी तेने जोइने गाढ अनुरागवाळी दृष्टिबडे जोतो कुमार तेने बोलावबा जाय छे. // 69 // | DOEDODOOOOOOOOOनबन ] // 34 // masun MS Jun Gun Aaradhak Trust

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