Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ चरित्रम् // // 38 // . FOODDEDODDEDEDDDDDDD राजा चित्रांगदो नाम / विद्याधरशिरोमणिः // अभवं दैवयोगेना-हं महामांसलालसः // 86 // ___अर्थ-विद्याधरोमां शिरोमणि चित्रांगद नामे हु राजा छ. दैवयोगे हुँ मनुष्यना मांसनो लालचु'थयो. // 86 / / मत्ती जनक्षयं मत्वा / बोधितोऽहमनेकधा 11 सथापि व्यसनं नागा भाग्यभरयोगतः / / 87 // " अर्थ-माराथी जन-क्षय यतो जाणीने मने अनेक प्रकारे समजाववामां आव्यो, पण अत्यंत दुर्भाग्यना योगथी मारं ते व्यसन | गयु नहीं / / 87 // ततो मन्मंत्रिसामंते / राज्यान्निष्काशितो बलात् // क्षुरी हेममयी क्वापि। क्षिप्यते किं निजोदरे // 8 // ___ अर्थ-तेथी मारा मंत्रो अने सामंत विगेरेए बलात्कारे मने नगरमाथी काढो मूक्यो. केमके सोनानी छरी पण काइ पेटमां| मराती नथी. // 88 // . अतः स्थानपरिभ्रष्टः / सोऽहं मानवराक्षसः // परिभ्रम्य भुवं सर्वा-मत्रागामवदच्च सः / / 89 // ___ अर्थ-एवी रीते स्थानथी परिभ्रष्ट थयेलो हु मानवराक्षस थयो. पछी हुँ पृथ्वीपर भमवा लाग्यो. एवी रीते भमतां भमता.| अचानक अहीं आवी चड्यो." // 89 इतस्तं राक्षसं दूरा-दागच्छंतं समीक्ष्य सी // प्रोचे ससंभ्रमं भीता / याहि याहि कुमार भोः // 10 // आ प्रमाणे राजकन्या बात करे छे तेवामां दूरथी आवता ते राक्षसने जोइने भयवाळी थइ सती ससंभ्रमपणे ते बोली केहे कुमार! तमे चाल्या. जाओ, चाल्या जाओ. / / 20 / / !: . . . . . . PODERREDDROIDDDDDDDD // 38 // ON PP Ad Gunratnasuri M.S Jun Gun Aaradhak Trust

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