Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 37
________________ सुमित्र 36 // . अर्थ-आ नगरमां स्वरूपवडे कामदेवने जोतनारो श्रीकनकध्वज नामनो राजा हतो. ते पोते त्रास विनानो छतां शत्रवर्गने तेणे त्रास पमाड्यो हतो. // 75 // प्रियास्या कनकाभाभू-नाना कनकमंजरी // प्रियंगुमंजरी तस्याः / कुक्षिजाहं सुताभव // 76 // . ___ अर्थ-ते राजाने सुवर्ण जेवा वर्णवाळी कनकमंजरी नामे प्रिया हती, तेनी कुक्षीथी उत्पन्न थयेली प्रियंगुमंजरी नामे हुं तेनी पुत्री / / 76 // बाल्यादपि तयोः पित्रोः / प्राणेभ्योऽप्यतिवल्लभा // कलाकलापकुशला / लभेऽहं योवनं क्रमात् // 77 // | अर्थ-हुँ बाल्यावस्थाथी मारा मतापिताने माणथी पण वहाली हती. अनुक्रमे कळासमूहमां कुशळ एवी हुँ यौवनावस्था पामी. इतश्च राक्षसेनात्र / प्राचीनभववैरिणा // समेत्य नरपत्यंतः-पुरामात्यपुरोधसां // 78 // | अर्थ-एवामां पूर्वभवना वैरी एका कोइ राक्षसे आवीने मारा पिता, राणीओ, प्रधान अने पुरोहितनो वध कर्यो. // 78 // वधश्चक्रे ततोऽकारि / लोकैरन्यैर्दिशोदिशं // पुरं जनपदं त्यक्त्वा / कांदिशीकैः पलायनं // 79 // ___अर्थ-एटले लोको आ मगर अने देशने तजी दइने दिशामूड थइ गयेलानी जेम चारे दिशाए पलायन करी गया // 79 // ऋध्याप्यलंकृतं शून्यं / तेनेदं नगरं वरं // तेनाहमपि नश्यंती। धृत्वेत्यूचेऽनुरागिणा // 8 // अर्थ-तेथी आ नगर ऋद्धिवडे अलंकृत छतां पण शून्य थइ गयु छे. ते वखते हुँ पण नासी जती हती तेने आ राक्षसे अटकावीने अनुरागीपणे कयु के- / / 80 // PREDDDDDDDDDDDDDDDDD जा॥३६॥ PP A Gunratnasur MS Jun Gun Aaradhak Trust

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