Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 29
________________ सुमित्र DDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDD अर्थ-दान एकज आ जगतमा श्रेष्ठ छे. ते विनानो मनुष्य महर्द्धिक होय तो पण दुध विनानी स्थूळ (जाडी) गायनी जेम | मूल्यहीन गणाय छे. // 34 // धैर्यशौर्यादिकं द्वीपि-कोलादिष्वपि दृश्यते // दानं हि महतामेव / गजेंद्राणां प्रवर्तते // 35 // __ अर्थ-धैर्य शौर्यादिक गुणो तो सामान्य हाथी अने वराहादिकमां पण देखाय छे, परंतु दान एटले मदनु झरवू तो मोटा गजेंद्रमांज होय छे. // 35 // धनांगपरिवाराद्यं / सर्वमेव विनश्यति // दानेन जनिता लोके / कीर्तिरेकैव निश्चला // 36 // अर्थ-धन, शरीर, परिवारादि सर्व काळे करीने विनाश पामे छे, परंतु दानवडे जनोमा मेळवेली कीर्ति एकज निश्चळ-विनाश न पामे एवी छे. // 36 // * रसातलं समुद्रोऽपि / प्राप संग्रहतत्परः // दाता पयोधरः पश्य / सर्वस्योपरि गर्जति // 37 // __ अर्थ-मात्र संग्रह करवामांज तत्पर एवो समुद्र पण रसातळमां गयेलो छे, अने दाता एवो पयोधर (वरसाद) सर्वनी उपर | आकाशमां रहीने गाजे छे. // 37 // कला सा सफला विद्या / सैव सैव मतिस्तथा // यथार्थिजंतुराजीनां / संपूर्यते मनोरथाः // 38 // - अर्थ-ते कळा, ते विया अने ते बुद्धिज सफळ छे के जेनावडे अर्थीजनोनी श्रेणीना मनोरथोने पूरी शकाय. // 38 // विचायति मया विद्या-बलादानं निरंतरं // दीयते तु कृपासार / कुमार कृपयांगिषु // 39 // जनननDOHDDOOOOOOOOOGLORD // // 28 // Jun Gun Aaradhak Trust PP.AC.GunratnasuriM.S.

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