Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 32
________________ समित्र चरित्रम् // 31 // तस्याभ्यंतरतो हर्म्य-प्रासादादिमनोहरं // पश्यन् सुविस्मयं सर्व / नाप मानुषमात्रकं // 49 // ___अर्थ-ते नगरमा मनोहर एवी हवेलीओ अने प्रासादो जोतो जोतो ते विस्मय सहित बधे फर्यो परंतु कोइ मनुष्य तेने मळ्यु नहीं. // 49 // ययौ राजकुले रम्य-मारूढो राजमंदिरं // तत्रैकांदोलपल्यंके-ऽपश्यन्मार्जारिकामसौ // 5 // ... अर्थ-अनुक्रमे ते राजकुलमां गयो अने मनोहर एवा राजमंदिर उपर चडवा लाग्यो. केटलाक माळ चब्यो एटले तेणे हींडोळा उपर रहेली बीलाडी दीठी. // 50 // | ददर्श तुंबकद्वंद्व / नागदंतेऽवलंबितं // अंजनेन समापूर्ण / महाप्राणमखंडितं // 51 // अर्थ-तेनी नजीकना नागदंता (बीली) साथे लटकावेली बे तुंबडीओ दोठी के जे अंजनवडे भरपूर अखंडित महामाण जेवी हती. // 51 // कौतुकेनैकमादायो-मुद्रं कृत्वांजनेन सः॥ दृष्टिमानंच तावत्सा / मार्जारी कन्यकाभवत् // 52 / / ___अर्थ-कौतुकवडे तेमांनी एक तुंबडी लइ उघाडीने तेमां रहेढं अंजन तेणे पेली बीलाडोनी आंखमां आंज्यु एटले ते तरतज कन्या बनी गइ. // 52 // प्रत्यक्ष सा तमालोक्य / सांगं काममिवागतं // कुमारी चिंतयामास / हर्षोल्लसितमानसा // 53 // .. DDDDDDDDDDDDDDDDDDDDD 16 // 31 // PP.AC.Gunratnasur M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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