Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 31
________________ सुमित्र चरित्रम् GeoGODDDDDDDOEEDED अर्थ-आ प्रमाणे चारे मित्रोथी वियुक्त थयेलो कुमार चार लोकपाळ विनाना इंद्रनी जेम मात्र खड्ग धारण करीने त्यांथी आगळ चाल्यो. // 44 // तमालतालहिंताल-रसालसरलवजैः॥ संकुलं पिष्पलप्लक्ष-वटदुंबरकादिभिः॥४५॥ अर्थ-मार्गमा एक अतिशय मोटुं वन आव्यु के जे बनमां तमाल, ताल, हिंताल, रसाल अने सरल तथा पिपळ, प्लक्ष, वड, उदुंबर विगैरे अनेक जातिना वृक्षो हतां. // 45 // Hव्याप्तमभ्रंकषैः शैलै-नदीभिर्दुस्तरांबुभिः // सिंहव्याघ्रद्विपद्वीपि-चोरनीरानलादिभिः // 46 // अर्थ-आकाशने जाणे अडता न होय एवा उंचा शिखरवाळा पर्वतो हता, जळबडे भरपूर तरी न शकाय तेवी नदीओ हती, सिंह वाघ, हाथी अने दीपडा विगेरे अनेक हिंसक पशुओ हता, चोर, नीर अने अनि विगेरेथी व्याप्त हतुं. // 46 // @GODDDDDDDDDDDDDDDDOG अर्थ-वळी सूर्य पण जेने जोइ न शके एवी राजानी राणीओनी जेम सूर्यनो प्रकाश पण ते वनमां पडतो नहतो. एवा भयंकर कानन (वन ) नुं मात्र खड्गज जेना हाथमा छे एवा कुमारे सुखपूर्वक उल्लंघन कर्युः // 47 // अथैकं नगरं वीक्ष्य / धनाढ्यापणमंदिरं // निर्मानुषं सुरम्यं च / विस्मितः प्रविवेश सः // 48 // | परंतु मनुष्य विनानुं हतुं. तेवू नगर जोइ विस्मय पामीने तेणे ते नगरमा प्रवेश को. // 48 // // 30 // लाख P.P.ACGunratnasun M.S. Jun Gun Aaradhex Trust

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