Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
View full book text
________________ सुमित्र // 19 // अर्थ-सुधोरे का -'जो के एम छे तो पण अहीं लाभालाभनो विचार करवा योग्य छे. कारण के अपर्व विद्या मेळववा माटे आवो योग वारंवार मळो शकतो नथी. / / 89 // विनयादिगुणैरेन-माराध्यानुपदं तव // षण्मासांतः समेष्यामि / प्राप्तविद्यः प्रसीद मे // 90 // अर्थ-तेथी विनयादि गुणोवडे आने आराधोने छ महीनानी अंदर विद्या मेळवी हुँ तमारी पासे जरुर आवीश, तेथो प्रसन्न थइने मने आज्ञा आपो. // 9 // न कुमारः स विचारज्ञः / श्रुत्वा तद्वचनं सुधीः // अक्षमोऽपि वियोगं स / तस्यादेशमदात्तदा // 91 // ___अर्थ-कुमार विचारज्ञ होवाथी ते बुद्धिमानना वचनो सांभळीने तेनो वियोग सहन करवाने असमर्थ छतां ते वखते तेने त्यां न रहेवानी रजा आपी. // 91 // पुनस्तस्य कृते विद्या-सिद्धं तं स व्यजिज्ञपत् // स्वामिन् भूयात्तवांतस्थः / सफलाशः सुहृन्मम // 92 // अर्थ-पछी तेना निमित्ते पेला विद्यासिद्धने विनंतिपूर्वक का के-' हे स्वामिन् ! तमारी पासे रहेनार आ मारो मित्र विद्या मेळववामां सफळ थाओ. // 92 // ओमित्युक्तवतस्तस्य / समीपे सीधरं ततः॥ मुत्क्वाशेषसुहृद्युक्तः / स चचाल विशालधीः // 93 // अर्थ-विद्यासिद्धे ते वात स्वीकारी एटले पछी सीधरने त्यां मूकीने बाकीना मित्रो साथे विशाळ बुद्धिमान् कुमार आगळ चाल्यो. PP.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust

Page Navigation
1 ... 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126