Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ ममि DDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDD आससाद नदीमेकां / काष्टपाषाणवाहिनीं // अतिवेगां सुगंभीरां / दुस्तरां दुर्दशामिव // 74 // ..अर्थ-अनक्रमे काष्ट तेमज. पाषाणने पण खेंची जनारी, अति वेगवाळी, अति गंभीर अने दुःखे तरवा योग्य एक नदी दुर्दशानी जेम तेओनी नजरे पडी. // 74 / / .. . जलांतर्दत्तहक्कश्चिद-दृष्टस्तैस्तत्तटे नरः // ते गत्वा तत्पुरोऽपृच्छन् / भवता दृश्यते किम // 75 // ___ अर्थ-ते बखते त्यां जळनी अंदर जोइ रहेनार कोइक मनुष्यने ते नदीना तट उपर रहेलो तेओए जोयो. एटले तेनी पासे | जइने तेमणे पूंच्यु के-'तुं आमां शुं जुए छे. / / 75 // a सोऽवादीन्मे बलीवदों / मद्गृहाजगृहेऽद्य भोः॥ निशि चौरेण तत्पादं / पश्यन्नस्मि जलांतरे // 76 // . अर्थ-ते बोल्यो के-'मारो बळद आजे रात्रे मारे धेरथी चोरोए हरण करेल छे तेनुं पगलुं हुं जळमां जोउ छु. // 76 // | पुनः पृष्टं कथं मुग्ध / योतदृश्यते पदं / ईदशे चातलस्पर्शे / तेभ्यः श्रुत्वेति सोऽब्रवीत् // 77 // .. म. अर्थ-ते सांभळोने फरीने तेने का के-'हे मुग्ध ! आवा अत्यंत उंडा पाणीमां तेनुं पगलु शी रोते देखी शकाय? | ते बोल्यो के-।। 77 // रे मढाः किं न जानीथ / विद्यामणिमहोषधः // हस्तामलकवन्नित्यं / ज्ञायते भूतलेऽखिलं॥ 7 // . | अर्थ-अरे मूढो! विद्या, मणि ने महौषधिवडे हस्तामलकनी जेम आखी पृथ्वी जोइ शकाय छे. // 78 // OODOOOOOOOOOOOOOOOOबन PP.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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