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स्वर्ण और चांदी की तुला दान, गुड़ की तुला, लवण की तुला दान जो स्त्री करे तो पार्वती के समान सौभाग्यवती रहेगी तथा पुरुष करे तो प्रद्युम्न के समान तेजस्वी होगा ।
वृहद पाराशर स्मृति
दान विधि वर्णनम्
८८७
बड़े-बड़े रत्नों के दान
ब्राह्मण को वस्त्राभूषण दान का माहात्म्य, का माहात्म्य, स्वर्ण तुला दान करने में भगवान विष्णु की पूजन का विधान, चांदी दान का माहात्म्य, माणिक्य के तुला दान का माहात्म्य, घृत, भोजन की चीज, तेल, पान आदि वस्तुओं का पृथक्-पृथक् दान माहात्म्य । फल, गुड़, अन्न, मकान पलंग दान आदि का माहात्म्य
विद्यादान वर्णनम् ८८८
विद्यादान का माहात्म्य और विद्यार्थियों को भोजन, वस्त्र देने का माहात्म्य । सब दानों से अधिक विद्यादान बताया है। औषधि दान और अस्पताल ( औषधालय ) खोलने का माहात्म्य और दया दान
दान स्थाज्यकाल वर्णनम् : ८६३ अशीच सूतक में दान देना लेना निषेध, रात्रि में दान निषेध, और रात्रि में विद्यादान, अभय दान, अतिथि सत्कार हो सकता है अभय दान हर समय हो सकता है, दूसरे का दान अशौच सूतक में लेना निषेध
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२०१-२३३
तिथिदान विधि वर्णनम् : ८६०
भगवान विष्णु का पूजन पौर्णमासी में करने का माहात्म्य चैत्र शुक्ला द्वादशी को वस्त्रदान का माहात्म्य और छाता, जूता दान करने का माहात्म्य | आषाढ़ में दीप दान; श्रावण में वस्त्र दान; भाद्रपद गोदान; आश्विन में घोड़ा दान, कार्तिक में वस्त्र दान, मार्गशीर्ष में लवण दान, पौष में धान का दान, फाल्गुन में इत्र दान, मास विशेष में अलग-अलग दान बताए हैं
२३४-२४१
२४२-२४८
२४६-२६०
२६१-२७८
२७८-२८२
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