________________
बौधायन स्मृति उत्तर तथा दक्षिण में जो आचार है उन पर विप्रतिपत्ति और
आर्यावर्त की सीमा का वर्णन । यह धर्मशास्त्र यज्ञ संस्कारादि आर्यावर्त ब्रह्मावर्त के लिए ही है
२. ब्रह्मचारी धर्म ब्रह्मचारी के नियम अष्टम वर्ष में ब्राह्मण का उपनयन तथा ऋतु
परत्व उपनयन काल, वसन्त में ब्राह्मण, ग्रीष्म में क्षत्रिय एवं शरद् में वैश्य का उपनयन समय, मौजी बन्धन, भक्ष्यचर्या एवं ब्रह्मचारी को शिक्षा, अवकीर्णी का दोष, ब्रह्मचर्य का माहात्म्य । धर्म क्या है ?
१-५५ ३. स्नातकधर्म धर्म के निर्णय तथा स्नातक के नियम एवं व्रत
४. कमण्डलुचर्याभिधान : १७७५ स्नातक के शौचाचार, कमण्डलु से जल के प्रयोग का विधान एवं रीति बताई गई है
१-२८ ५. शद्धिप्रकरण : १७७७ प्रथम प्रश्न के ही प्रसंग में इस अध्याय का वर्णन किया है । शुद्धि का विधान है । यथा
अद्भिः शुध्यन्ति गात्राणि बुद्धिर्ज्ञानेन शुध्यति ।
अहिंसया च भूतात्मा मनः सत्येन शुध्यति, इति ।। यहां से शरीर , बुद्धि, देह और मनकी शुद्धि बताकर यज्ञोपवीत
धारण की रीति तथा उसकी शुद्धि पादप्रक्षालनादि, नदी में स्नान की रीति, वस्तु भाण्डादि की शुद्धि, अविज्ञात भौतिक जीवों की षट् प्रकार की शुद्धि, आसन, शय्या और वस्त्र की शुद्धि के सम्बन्ध में, शाक, फल, पुष्पों की प्रक्षालन से ही शुद्धि
बताई है। अशौच में सपिण्डता को लेकर दस दिन में शुद्धि होती है । कुत्ते के
काटने पर प्राणायामादि से शुद्ध एवं अभक्ष्य का वर्णन । गाय का दूध गाय से सूतने पर दस दिन के अनन्तर शुद्ध होता है । इस प्रकार सब बातों की शुद्धि करनी धर्म का अङ्ग बताया है १-१६३
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org