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व्याघ्रपादस्मृति
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श्राद्ध करने की सामग्री और उसका निर्णय
६३-८० पितरों की पूजा
८१-८२ सब धर्म कार्यों में धर्मपत्नी को दाहिने ओर बिठाने का विधान । ८३-८५ पूजा में स्त्री को बिठाना और सिर में त्रिपुण्ड लगाने का विधान ८६-६२ तिल का निर्णय
६३-६७ पूजा, यज्ञ तथा श्राद्ध में मौन रखने का विधान श्राद्ध का नियम
१०१-११४ पिण्ड दान और पिण्डपूजन का विधान
११५-१३५ जो पितरों का श्राद्ध नहीं करते उनके पितर जूठा अन्न खाकर दुःख में विचरते हैं
१३६-१४२ जो पितरों का तर्पण नहीं करता वह नरक जाता है
१४३-१५२ मूर्ख को दान देने की निन्दा
१५३-१५४ श्राद्ध करने वालों का नियम, श्राद्ध के दिन जो मट्ठा होता है
वह गोमांस और शराब के बराबर होता है । श्राद्ध में बहिनों और उनके परिवार को निमन्त्रण का महत्त्व
१५५-१६० श्राद्ध के नियम और उनके विरुद्ध चलने पर चान्द्रायण व्रत का विधान
१६१-१६६ श्राद्ध का भोजन, अन्न और ब्राह्मण का विस्तार से वर्णन १६७-२०७ पैर धोने से पिण्ड विसर्जन तक श्राद्ध का विषय माना जाता है २०८-२१० श्राद्ध में निषिद्ध पदार्थों का उल्लेख
२११-२१२ वानप्रस्थ यतियों के श्राद्ध के नियम
२१३-२१७ सन्ध्या के नियम
२१८-२२३ श्राद्ध में भोजन बनाने के अधिकारी
२२४-२५३ श्राद्ध के अन्न का निर्णय
२४४-२६६ जिनका एकोदिष्ट श्राद्ध ही होता है उनका वर्णन
२६७-२८५ श्राद्ध में किन-किन अंगों का निषेध और विधान है
२८६-३१७ वर्ष-वर्ष में श्राद्ध करने का महत्त्व
३१८-३२७ श्राद्ध करने के स्थान का वर्णन
३२८-३३७ श्राद्ध करने के नियम, सामान्य व्यवहार, यज्ञ, दान, जप, तप, स्वाध्याय, पितृतर्पण की विशेष विधियां
३३७-३६६
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