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________________ व्याघ्रपादस्मृति १३६ श्राद्ध करने की सामग्री और उसका निर्णय ६३-८० पितरों की पूजा ८१-८२ सब धर्म कार्यों में धर्मपत्नी को दाहिने ओर बिठाने का विधान । ८३-८५ पूजा में स्त्री को बिठाना और सिर में त्रिपुण्ड लगाने का विधान ८६-६२ तिल का निर्णय ६३-६७ पूजा, यज्ञ तथा श्राद्ध में मौन रखने का विधान श्राद्ध का नियम १०१-११४ पिण्ड दान और पिण्डपूजन का विधान ११५-१३५ जो पितरों का श्राद्ध नहीं करते उनके पितर जूठा अन्न खाकर दुःख में विचरते हैं १३६-१४२ जो पितरों का तर्पण नहीं करता वह नरक जाता है १४३-१५२ मूर्ख को दान देने की निन्दा १५३-१५४ श्राद्ध करने वालों का नियम, श्राद्ध के दिन जो मट्ठा होता है वह गोमांस और शराब के बराबर होता है । श्राद्ध में बहिनों और उनके परिवार को निमन्त्रण का महत्त्व १५५-१६० श्राद्ध के नियम और उनके विरुद्ध चलने पर चान्द्रायण व्रत का विधान १६१-१६६ श्राद्ध का भोजन, अन्न और ब्राह्मण का विस्तार से वर्णन १६७-२०७ पैर धोने से पिण्ड विसर्जन तक श्राद्ध का विषय माना जाता है २०८-२१० श्राद्ध में निषिद्ध पदार्थों का उल्लेख २११-२१२ वानप्रस्थ यतियों के श्राद्ध के नियम २१३-२१७ सन्ध्या के नियम २१८-२२३ श्राद्ध में भोजन बनाने के अधिकारी २२४-२५३ श्राद्ध के अन्न का निर्णय २४४-२६६ जिनका एकोदिष्ट श्राद्ध ही होता है उनका वर्णन २६७-२८५ श्राद्ध में किन-किन अंगों का निषेध और विधान है २८६-३१७ वर्ष-वर्ष में श्राद्ध करने का महत्त्व ३१८-३२७ श्राद्ध करने के स्थान का वर्णन ३२८-३३७ श्राद्ध करने के नियम, सामान्य व्यवहार, यज्ञ, दान, जप, तप, स्वाध्याय, पितृतर्पण की विशेष विधियां ३३७-३६६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002787
Book TitleSmruti Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagsharan Sinh
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1993
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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