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________________ १३५ व्याघ्रपादस्मृति ३५ ३६-६३ विकर्मों का वर्णन प्रायश्चित्त और शुद्धि का वर्णन १३. आशौच : २४८१ सूतक पातक का वर्णन जिन पर सूतक पातक नहीं लगता उन का वर्णन कितने दिन किसका सुतक लगता हैं उसका वर्णन १-१३ १४-१६ २०-३२ काश्यपस्मृतिः प्रायश्चित्त : २४८५ आहिताग्नि के लक्षण, गाय, बैल, मृग, महिषी, कोआ, हंस, सारस, बिल्ली, गीदड़, साँप और नेवला की हिंसा करने का प्रायश्चित्त, पाँच प्रकार के महापातक बतलाये गये हैं, अकाल में भूमिकम्प का, घर में उल्लू बोलने का प्रायश्चित्त बताया गया है। मथनी और हल टूटने का प्रायश्चित्त बर्तनों के साफ करने का विधान, पहले जिन्होंने पाप किया हो उनके चिह्नों का वर्णन तथा पापों से नरक गति का वर्णन व्याघ्रपादस्मृतिः स्मतिमहत्त्व : २४६१ युगधर्म का वर्णन और द्विजातियों को वेदाध्ययन का उपदेश पिण्डदाम और पितृतर्पण का महत्त्व तीर्थ और गया श्राद्ध श्राद्ध काल और विधि श्राद्ध करने व पूजा करने वालों का आचरण पौर्णमासी का निर्णय पुत्रहीन स्त्री के श्राद्ध का विधान पिताहीन को परपितामह के उपस्थित रहने पर श्राद्ध का विधान १-१५ १६-१८ १६ २०-४६ ४७-५७ ५८ ५६-६१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002787
Book TitleSmruti Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagsharan Sinh
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1993
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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