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बाधूलस्मृति
अतिरण्डा, महारण्डा और पुत्ररण्डा आदि का वर्णन पुत्रमहवस्वर्णनम् २५६१
पुत्र के बिना एक क्षण भी न रहे । पुत्र के महत्त्व का विस्तार से निरूपण
ज्येष्ठपुत्रस्य त्रये योग्यता २५६३
ज्येष्ठ पुत्र की पिता के सभी उत्तराधिकारियों से अधिक योग्यता ओरसपुत्रे ज्येष्ठत्वनिर्णयः २५६५
औरस पुत्रों में ज्येष्ठ कौन हो इसका निर्णय
पत्र्ये कर्मणि वौहित्रस्यौरसत्वम् २५६७
पैत्र्ये कर्म में दौहित्र का पुत्र के अभाव में औरस होना
धर्मसेवन का लाभ
विप्र का महत्त्व निरूपण
विविध दानों का वर्णन
दुष्कर्मों का प्रायश्चित्त वर्णन
७०१-७४४
७४५-७६६
पुत्र का कुलतारक होना
७६७-७८६
निर्दुष्ट पुत्र की योग्यता
७६०-८०६
दण्डनीय और न दण्ड देने योग्य जनों का धर्म से व्यवहार करना ८१०-८३०
दण्डविधान वर्णन
८३१-८७१
विप्रमवत्वर्णनम् २६११
नानाविधवानप्रकरणम् २६१३
दुष्कर्मणां प्रायश्चित्त २६२१
वाधूलस्मृति
नित्यकर्म विधिवर्णनम् २६२३
महर्षियों ने वाधूल मुनि से ब्राह्मणादि के आचार पूछे इस पर नित्यकर्मविधि का वर्णन उन्होंने किया
ब्राह्ममुहूर्त में शय्या त्याग कर प्रसन्न मन से हाथ-पैर धोकर
भगवत्स्मरण करे ब्राह्ममुहूर्त में सोने वाला सभी कर्मों में अनाधिकारी रहता है
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६३३-६५६
६५६-६७८
६६६-७००
६७६-६६८
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६८१-६६५
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