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कण्व स्मृति अग्निष्टोम और अतिरात्रों का अनुष्ठान श्रेयस्कर है, सप्तसोम ___ संस्था के पाकयज्ञों का विधान
४८8-४६४ इन अनुष्ठानों को न करने से प्रत्यवायिक दोषों का निरूपण ४६५-४६७ ब्रह्मचारी के नित्यकृत्यों का वर्णन
४६८-५०२ जातकर्म, चौल, प्राजापत्य, उपाकर्म आदि का विधान
५०३-५१३ भिन्न-भिन्न अनुवाकों का वर्णन
५१४-५२६ नाना काण्डों का वर्णन
५२७-५३७ ब्रह्मचारी वेदव्रतों का सम्पादन कर विधिपूर्वक स्नातकधर्म में दीक्षित हो
५३८-५४९ गृहस्थ में प्रवेश लिए लक्षणवती स्त्री से विवाह और उसके साथ वैदिक विधि से गृहप्रवेश व अग्निहोत्र का विधान
५४०-५४५ गृहस्थ के लिये नित्य कर्तव्य विधि का वर्णन
५४६-५५३ फिर इष्ट कर्तव्य एवं अनिष्ट कर्तव्यों का परिगणन
५५४-५६२ प्रातःकाल से सायंकाल तक के कर्तव्यों का निर्देश
५६३-५७३ गृहस्थ भगवान् लक्ष्मीनारायण का ध्यान सदैव करे । गृहस्थ को
आने वाले सभी सम्मान्य गुरुजन अतिथि एवं विशिष्ट जनों की पूजा का विधान
५७४-५६० उपयुक्त पाकों का विधान और उनके करने वाले स्त्री पुरुषों का वर्णन
५६१-६०१ पंक्ति वज्यं भोजन में दोष वर्णन
६०२-६०५ गृहस्थ के लिए पठनीय एवं करणीय विधान
६०६-६१३ कन्दमूल फल जो भक्ष हैं उनका विधान
६१४-६१६ यज्ञों का ब्रह्मज्ञाम के समान फल वर्णन
६२०-६३६ शेषहोम के विधान का वर्णन
६३७-६५६ ब्राह्मणादि का पूजन
६५७-६७७ पुत्र विवाह से पुत्री विवाह की विशेषता । सुपात्र में कन्यादान पुत्र से सौ गुणा अधिक बताया है
६७८-७०० गोत्रपरिवर्तन के सम्बन्ध में नाना मत
७०१-७२२
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