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श्राद्धाङ्ग तर्पण दूसरे दिन
उद्देश्य त्याग के समय सव्यविकिर न करे
वमन में कर्ता के भोजन न करने पर अर्ध तृप्ति, तिल द्रोण का विधान, दर्शश्राद्ध तर्पण रूप से तिल ही मुख्य हैं। सभी कर्मों में जल की प्रधानता
विधि:
आङ्गिरस (२) उत्तराङ्गिरसम्
१ धर्षत्प्रायश्चित्तवर्णन : ३०६६
२ परिषद उपस्थानलक्षणम् : २०६७
परिषद् के उपस्थान का लक्षण और उसके सामने निर्णय पूछने
की विधि
प्रायश्चित्त का लक्षण
परिषत् का लक्षण और उसके भेद
दशावरापरिषद
चतुर्वेद्य
विकल्पी
प्रायश्चित्तविधामम् : ३०६८
सत्य की महिमा व किए गए कुकृत्यों के लिए सत्य बोलकर प्रायश्चित्त पूछने का विधान
४ परिषल्लक्षण : ३०६६
आङ्गिरसस्मृति
१०७३-१०७५
१०७६-१०७८
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५ प्रायश्चित्तमियन्तृकथनम् : ३०७१
१०७-१११३
मङ्गवित्
धर्मपाठक
आश्रमी
ब्राह्मणों की परिषद् आगे प्रायश्चित्त नियन्ताओं का वर्णन बताया है। ६. प्रायश्चित्ताचारकथनम् : ३०७२
प्रायश्चित्त के आचार का वर्णन
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