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________________ १७८ श्राद्धाङ्ग तर्पण दूसरे दिन उद्देश्य त्याग के समय सव्यविकिर न करे वमन में कर्ता के भोजन न करने पर अर्ध तृप्ति, तिल द्रोण का विधान, दर्शश्राद्ध तर्पण रूप से तिल ही मुख्य हैं। सभी कर्मों में जल की प्रधानता विधि: आङ्गिरस (२) उत्तराङ्गिरसम् १ धर्षत्प्रायश्चित्तवर्णन : ३०६६ २ परिषद उपस्थानलक्षणम् : २०६७ परिषद् के उपस्थान का लक्षण और उसके सामने निर्णय पूछने की विधि प्रायश्चित्त का लक्षण परिषत् का लक्षण और उसके भेद दशावरापरिषद चतुर्वेद्य विकल्पी प्रायश्चित्तविधामम् : ३०६८ सत्य की महिमा व किए गए कुकृत्यों के लिए सत्य बोलकर प्रायश्चित्त पूछने का विधान ४ परिषल्लक्षण : ३०६६ आङ्गिरसस्मृति १०७३-१०७५ १०७६-१०७८ Jain Education International ५ प्रायश्चित्तमियन्तृकथनम् : ३०७१ १०७-१११३ मङ्गवित् धर्मपाठक आश्रमी ब्राह्मणों की परिषद् आगे प्रायश्चित्त नियन्ताओं का वर्णन बताया है। ६. प्रायश्चित्ताचारकथनम् : ३०७२ प्रायश्चित्त के आचार का वर्णन For Private & Personal Use Only १-१० १-१० १-११ १-२ ३-१० mr ur x ३ ४ ५ ६ ७-१४ १-१५ www.jainelibrary.org
SR No.002787
Book TitleSmruti Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagsharan Sinh
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1993
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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