________________
१६६
दाल्भ्यस्मृति
वंश के उद्धार के लिए दत्तक पुत्र का विधान दत्तक में दौहित्र की योग्यता श्राद्धकृत्य में निर्दिष्ट का अन्य कृत्य नियोजन में निषेध एक काल में बहुत से श्राद्ध आने पर कृत्यों का सम्पादन प्रकार ब्रह्मवेदी ब्राह्मण का माहात्म्य
७२३-७४३ ७४४-७५५ ७५६-७८६
७८६-७८८
७८६-७६२
१-१६ २०-४१ ४२-५४
५५-५६
दाल्भ्यस्मृति
षोडशश्राद्धवर्णनम् : २६३३ दाल्भ्य से ऋषियों का धर्माधर्म विवेक, मतशुद्धि, मासशुद्धि, श्राद्ध
कालादि के सम्बन्ध में प्रश्न, इष्टापूर्त को लेकर दाल्भ्य द्वारा
विशेष प्रशंसा, पितरों के तर्पण का विधान १६ श्राद्धों का वर्णन श्राद्ध में निषिद्ध कर्मों का परिगणन श्राद्ध में भोजन करने वाले के लिए आठ वस्तुओं का त्याग श्राद्धकरण में पुत्र का अधिकार
शस्त्रहतकानां श्राद्धवर्णनम् : २६४१ नाना सम्बन्धियों के भिन्न-भिन्न दिनों में श्राद्ध का विधान । शस्त्र
हतक के श्राद्ध दिन का वर्णन मृतक का श्राद्ध दिन अविदित हो तो एकादशी को श्राद्ध किया
जाय आम श्राद्ध के करने का विधान पहले माता का श्राद्ध फिर पितरों का फिर मातामहों का
ब्रह्मघातक का लक्षण, इनके स्पर्श करने से स्नान और भोजन करने से कृच्छ्सान्तपन का विधान । जो चाण्डाली में अकाम
६८-७०
७१-८०
८१ ८२-८५
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org