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पुलस्त्यस्मृति कन्या के रजोदर्शन से माता-पिता को नरक की प्राप्ति
२०-२२ श्राद्ध में वर्जनीय ब्राह्मण और सत्पात्र के लक्षण
२३-७० ४. गोवधप्रायश्चित्त : २११० गोवध के प्रायश्चित्त का वर्णन
१-१५ धर्मशास्त्र को जाने बिना प्रायश्चित्त के लिए निर्णय देने का पाप २६ सत्पात्र ब्राह्मण लक्षण वर्णन
३०-६२ ५. श्राद्धकालेपन्यांरजस्वलायांनिर्णय : २११६ श्राद्धकाल में श्राद्ध करने वाले की स्त्री रजस्वला हो जाए तो उस
का निर्णय तथा जिसकी सन्तान हो उसके विभाग का दिग्दर्शन
अरुणस्मृतिः
१. प्रतिग्रह : २११६ प्रतिग्रह के विषय में अरुण का प्रश्न आदित्य का उत्तर
"जपोहोमस्तथा वानं स्वाध्यायाविकृतं शुभम् ।
वातुर्नप्रयते विप्र अतो न स्वर्गमाप्नुयात् ॥" ब्राह्मण को अनुचित दान लेने के प्रायश्चित्त करने का वर्णन
प्रतिग्रहेण विप्राणां ब्राह्म तेजः प्रशाम्यति । प्रतिग्रह प्रायश्चित्त वर्णन
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३-१४८
पुलस्त्यस्मृतिः
१. वर्णाश्रमधर्म : २१३४ पुलस्त्य ऋषि ने कुरुक्षेत्र में जो वर्णाश्रमधर्म बतलाया उसका वर्णन । यथा
"अहिंसा सत्यवादश्च सत्यं शौचं दया क्षमा।
वणिनां लिगिताञ्चैव सामान्यो धर्म उच्यते।" इत्यादि प्रकार से धर्म का वर्णन किया है
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