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________________ १३२ पुलस्त्यस्मृति कन्या के रजोदर्शन से माता-पिता को नरक की प्राप्ति २०-२२ श्राद्ध में वर्जनीय ब्राह्मण और सत्पात्र के लक्षण २३-७० ४. गोवधप्रायश्चित्त : २११० गोवध के प्रायश्चित्त का वर्णन १-१५ धर्मशास्त्र को जाने बिना प्रायश्चित्त के लिए निर्णय देने का पाप २६ सत्पात्र ब्राह्मण लक्षण वर्णन ३०-६२ ५. श्राद्धकालेपन्यांरजस्वलायांनिर्णय : २११६ श्राद्धकाल में श्राद्ध करने वाले की स्त्री रजस्वला हो जाए तो उस का निर्णय तथा जिसकी सन्तान हो उसके विभाग का दिग्दर्शन अरुणस्मृतिः १. प्रतिग्रह : २११६ प्रतिग्रह के विषय में अरुण का प्रश्न आदित्य का उत्तर "जपोहोमस्तथा वानं स्वाध्यायाविकृतं शुभम् । वातुर्नप्रयते विप्र अतो न स्वर्गमाप्नुयात् ॥" ब्राह्मण को अनुचित दान लेने के प्रायश्चित्त करने का वर्णन प्रतिग्रहेण विप्राणां ब्राह्म तेजः प्रशाम्यति । प्रतिग्रह प्रायश्चित्त वर्णन -० ३-१४८ पुलस्त्यस्मृतिः १. वर्णाश्रमधर्म : २१३४ पुलस्त्य ऋषि ने कुरुक्षेत्र में जो वर्णाश्रमधर्म बतलाया उसका वर्णन । यथा "अहिंसा सत्यवादश्च सत्यं शौचं दया क्षमा। वणिनां लिगिताञ्चैव सामान्यो धर्म उच्यते।" इत्यादि प्रकार से धर्म का वर्णन किया है १-२८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002787
Book TitleSmruti Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagsharan Sinh
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1993
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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