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शङ्खस्मृति
६९ ५. पञ्चमहायज्ञाः गृहामिणां प्रशंसा-अतिथि वर्णनम् : १४२१ पञ्च महायज्ञ गृहस्थी के नित्य कर्म बताये हैं
१-१८ ६. वानप्रस्थधर्मनिरूपणं संन्यासधर्मप्रकरण : १४२२ वानप्रस्थाश्रम की आवश्यकता और उसके धर्म का निरूपण
७. प्राणायामलक्षणं धारणा-ध्यानयोगनिरूपण : १४२५ ब्रह्माश्रमी के संन्यास की विधि । आत्मज्ञान, प्राणायाम, ध्यान, धारणादि योग का निरूपण
८. नित्यनैमित्तिकादिस्नानानां लक्षण : १४२८ षट् प्रकार के स्नान-नित्य स्नान, नैमित्तिक स्नान, क्रिया स्नान; मलापकर्षण स्नान, क्रियाङ्ग स्नान का समय तथा विधि १-१६
६.क्रियास्नानविधि : १४२६ क्रिया स्नान के मंत्र तथा विधान
१-१५ १०. आचमनविधि : १४३१ प्राजापत्य दैवतीर्थादि बताकर आचमन करने की विधि, अंग-स्पर्श तथा सन्ध्या करने से दीर्घायु का होना बताया है
१-२१. ११. अघमर्षणविधि : १४३३ अघमर्षण कुष्माण्डी ऋचा तथा पवित्र करने वाले मन्त्रों का विधान
१२. गायत्रीजपविधि : १४३४। गायत्री मन्त्र जपने की विधि और माहात्म्य
१-३१ १३. तर्पणविधि : १४३७ देवऋषिपितृ तर्पण के मन्त्र एवं विधि
१-१७ १४. श्राद्धे ब्राह्मणपरीक्षा : १४३८ पित कार्य में ब्राह्मण की परीक्षा करके निमन्त्रण करना तथा उनका किन-किन मन्त्रों से पूजन करना चाहिये इसका वर्णन किया है १-३३
१५. जननमरणाशीचवर्णन : १४४२ जन्म मरण में अशौच कितने दिन का और किस वर्ण को होता है १-२५
१६. द्रव्यशुद्धिः, मृन्मयादिपात्रशुद्धि : १४४४ पात्रों के शुद्ध करने की विधि तथा अपने अंगों को शुद्ध करने का विधान बताया है
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