________________
८६
दासी पुत्र का हक और अपुत्र के धन विभाग का नियम वानप्रस्थ, संन्यासी और आचार्य के धन का विभाग समष्टि ( मिले हुए) भाईयों का विभाग और उन लड़कों का वर्णन जिनको पिता की जायदाद में भाग नहीं मिलता है । जिनको भाग न मिला उनके लड़कों और स्त्री को मिल सकता है स्त्री धन की परिभाषा
जो पैतृक धन को छिपा दे उनका निर्णय
याज्ञवल्क्य स्मृति
१३६-१३६
१४०
सीमाविवादप्रकरणवर्णनम् -- १२८५
सीमा विभाग - गांव की, खेत की सीमा के विभाग में वन में रहने वाले ग्वाले, खेती करने वाले इनसे सीमा के सम्बन्ध में पूछना चाहिये । पुल, खाई या खम्भे से सीमा का चिह्न बतलाना चाहिए । सीमा के सम्बन्ध झूठ बोलनेवाले को कड़े दण्ड का विधान कहा है । दूसरे की जमीन पर कुंआ तालाब बनाना उसमें
में
जिसकी भूमि है उसी का या राजा का अधिकार रहेगा १५३-१६१ स्वामिपालविवादप्रकरणवर्णनम्१२८६ दूसरे के खेत में भैंस, गाय, बकरी चराने में जितना वे हानि करे उसका दूना दिलाना चाहिये बंजर भूमि पर भी गधा, ऊंट आदि को चराने पर वहां जितना घास पैदा हो सकता है उतना उनके स्वामियों से हानि रूप में लिया जाना चाहिये । ग्वालों को फटकारना और उनके स्वामियों को प्रायः दण्ड देना । सड़क गांव की बंजर जगहों में चराने में कोई दोष नहीं है । सांड वगैरह को छोड़ देना चाहिए । गायों को चराने वाला ग्वाला जिसके घर से जित्तनी गाय ले जाय उसकी उतनी ही सायंकाल लौटा देवे । जिस ग्वाले को वेतन दिया जाता है अगर अपनी गलती से किसी पशु को नष्ट करवा दे तो मूल्य उससे लिया जाय । प्रत्येक गांव में गोचर भूमि रक्खी जाय
अस्वामिविक्रयप्रकरणवर्णनम् - १२८७
खरीद और अस्वामी विक्रय — लेने वाले को चीज का दोष न बतला कर जो बेचा जाय उसे चोरी की सजा होगी । किसी
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
१४१-१४३
१४६-१५१ १५२
१६२-१७०
www.jainelibrary.org