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याज्ञवल्क्य स्मृति
धूतसमाह्वयप्रकरणवर्णनम् १२६१ चोरों को पहचानने के लिए जूआ किसी स्थान पर करवाया जाता
है और उसमें जीतने वाले से राजा के लिए दस रुपया ले लेना चाहिए
२०२-२०६ वाक्पारुष्यप्रकरणवर्णनम् : १२६१ वाक् पारुष्य (अपशब्द कहने का दण्ड) इसी प्रकार पातक तथा उपपातक को दण्ड के उपयोग हैं
२०७-२१४ किसी पर लाठी चलाना या किसी चीज से पीड़ा पहुंचाना पशुओं
के अंगच्छेदन करना, पशु की इन्द्रिय काटना, और पेड़ों की टहनियों को काटना
२१५-२३२ साहस प्रकरण वर्णनम् : १२६४ बलपूर्वक किसी की वस्तु को छीनना इसको साहस कहते हैं । जो
जितने मूल्य की वस्तु छीन कर ले जावे उसको उससे दूना दण्ड दिलवाना चाहिए तथा छिपाने पर चार गुना दण्ड । स्वच्छन्दता से किसी विधवा स्त्री के साथ गमन करने वाला या बिना किसी कारण किसी को गाली देने वाला और झूठी शपथ करने वाला तथा जिस काम के योग्य न हो उसको करने को तैयार हो जाना एवं दासी के गर्भ को नष्ट कर देना, पशु के लिङ्ग को काट देना, पिता पुत्र गुरु और स्त्री को छोड़ने वाले को सौ पल दण्ड का विधान बताया है। धोबी दूसरे के कपड़ों को अपने पास रखे तो उसको तीन पल दण्ड । पिता और पुत्र की लड़ाई में जो गवाही देवे उसे तीन पल दण्ड । तराजू और बाटों को जो छल कपट से बना कर व्यवहार करे तो उसे पूरा दण्ड । जो कपट को सत्य कहे और सत्य को कपट कहे उसे भी साहस प्रकरण का दण्ड । जो वैद्य झूठी दवा बनावे उसको भी दण्ड । जो कर्मचारी अपराधी को छोड़ देवे उसको दण्ड । जो मूल्य लेकर वस्तु को नहीं देता है उसको भी दण्ड
२३३-२६१ सम्भूयसमुत्थानप्रकरणम् : १२९७ कई आदमी मिलकर जो व्यापार करते हैं उनको उस व्यापार में
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