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उदितोदय राजाकी कथा ।
देखिए, मनुष्यके वे ही गुण सुखदायक होते हैं, वे ही सौभाग्य सूचक होते हैं जिनको अच्छे जानकर दूसरे मनुष्य भी उनका अनुकरण करें । वे गुण किस कामके जिनको दूसरे ग्रहण नहीं करें; किन्तु दुर्गुण होनेके कारण केवल हम ही उन्हें ग्रहण किये रहें । ऐसे गुण शोभा नहीं देते । स्त्रियों के स्तनोंकी तबतक कोई भी शोभा नहीं जब कि कोई उनका मर्दन नहीं करता। पर जब अन्य मनुष्य उनका मर्दन करता है तब ही वे शोभा पाते हैं । ठीक यही दशा गुणोंकी है । और आपने जो यह कहा कि ये नीच हमारा क्या कर सकते हैं, यह भी ठीक नहीं । क्योंकि असमर्थ मनुष्य भी यदि बहुतसे मिल जायँ तो एक बड़ी भारी शक्ति बहुत जल्दी तैयार हो जाती है । इसलिए आप अपनी हठको छोड़ दीजिए। देखिए, तृण कितनी निःसार वस्तु है, पर जब वे मिलकर इकडे हो जाते हैं तो एक रस्सी बन जाते हैं । और फिर उसका तोड़ना तक मुश्किल हो जाता है। उससे फिर बड़े बड़े हाथी बाँध लिये जाते हैं। यह सुन राजाने फिर भी कहा-माना कि वे नागरिक बहुत हैं, पर हैं तो असमर्थ ही न ? तब समर्थ एक ही उनके लिए बहुत है । देखिए, नीतिकार कहते हैं-एक होकर भी यदि वह सब कामोंको करनेके लिए हिम्मत रखता है तो वह पराक्रमी है और सबसे बलवान है। बहुत होकर भी यदि असमर्थ हैं तो उनसे क्या हो सकता ह? चन्द्रमा यद्यपि एक है पर सम्पूर्ण दिशाओंके मुखमंड
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