Book Title: Rajendrasuri Janma Sardh Shatabdi Granth
Author(s): Premsinh Rathod
Publisher: Rajendrasuri Jain Navyuvak Parishad Mohankheda
View full book text
________________
नमस्कार महामंत्र आराधना
समस्त कषायों से मुक्त करने वाले महामंत्र की ९ दिवसीय आराधना का आयोजन किया गया । मुनिराज श्री के सान्निध्य में भारत के विभिन्न प्रान्तों से ६१० महिलाओं और पुरुषों ने भाग लिया। धर्मान्द्र शासन में रहकर आराधनारत महानुभावों ने नगर में एक नया वातावरण निर्मित कर दिया। आराधना तो वे कर रहे थे लेकिन प्रेरणा नगरवासियों को मिल रही थी, धर्माचरण करने की। आराधना पर्यन्त मुनिराज श्री ने महामंत्र नवकार पर अपने व्याख्यान दिये। महामंत्र की शक्ति, प्रभाव, लाभ से भिज्ञ हुए। आराधना के दिनों सरस, भक्ति का आयोजन होता रहा। भक्ति रस में पगे रहे सभी । विभिन्न स्थानों से संगीत मंडलियां आई और उन्होंने अपनी भक्तिपूर्ण संगीत कला का प्रदर्शन किया। इसी अवसर पर विशाल रथ यात्रा का आयोजन किया गया जो रतलाम के इतिहास में उसका कोई सानी नहीं है। पूज्य मुनिराज श्री के व्याख्यान इन्दौर तथा भोपाल आकाशवाणी केन्द्रों से प्रसारित
की पूर्ति पूज्य मूनि राज श्री के सान्निध्य में हो रही है । ग्रंथ ऐतिहासिक, विशाल तथा विराट जानकारी से ओतप्रोत होगा। यह रतलाम के सौभाग्य की बात है कि पूज्य राजेन्द्र सूरीश्वरजी के अमर अभिधान राजेन्द्र कोष का प्रकाशन भी रतलाम से हुआ और राजेन्द्र ज्योति भी रतलाम से प्रकाशित हो रही है। जिसके प्रधान सम्पादक डॉ. श्री प्रेमसिंहजी राठौड़ हैं। धार्मिक सामान्य ज्ञान, निबन्ध, एवं ज्ञानवर्धक धार्मिक ज्ञान प्रतियोगिताएं
ज्ञान उपासना की दृष्टि से मुनिराजश्री ने धार्मिक ज्ञान, निबन्ध तथा ज्ञानोत्तेजक धार्मिक ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन क्रमशः १८-९-७७, २-१०-७७, ६-११-७७ को किया गया। इन प्रतियोगिताओं में हजारों छात्र-छात्राओं ने भाग लेकर ज्ञानवर्द्धन किया। बालक-बालिकाओं में धार्मिक ज्ञान के प्रति अगाध उत्साह देखने को मिला; विशिष्ट अंक प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को गणमान्य अतिथियों के द्वारा पुरस्कार प्रदान किये गये। छात्रछात्राओं में एक विशेष बात रही कि सभी धर्म सम्प्रदाय के (बोहरा, सिक्ख, ईसाई आदि) थे। इस प्रकार यह कार्य सराहनीय रहा।
सामूहिक क्षमापना आयोजन ___ पूज्य मुनिराज श्री के सान्निध्य में महापर्वाधिकार पर्युषण सम्पन्न हुए। कल्प सूत्र के १२८० सूत्रों का पाठ व्याख्या सहित हुआ। पर्युषण की महत्ता पर प्रकाश डाला गया ; श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद ने सभी धर्म केन्द्रों पर जाकर सामूहिक रूप से क्षमायाचना की। सामूहिक तपस्या आराधना
श्रावण शुक्ला ३, ४, ५ को मुनिराज श्री के सान्निध्य में अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने तपस्या में भाग लिया जिसमें मांसक्षमण २, सोलभत्ता ४, ग्यारह उपवास, ११ नव उपवास, ३५ अट्ठाई, ६० पांच ५५ चोला ३० तेला २५१ उपवासकर्ता थे। तपस्या का विशाल समूह आश्चर्य में डालता है निश्चित रूप से तपस्वी साधुवाद के पास है । ८३ वी वर्धमान तप ओलीजी समापन
मुनिराज श्री विनय विजय महाराज श्री की वर्द्धमान तप ओलीजी (८३ वीं) को पारणा के उपलक्ष्य में श्री संघ ने ५ दिवसीय उत्सव का आयोजन किया।
अखंड ज्योति तथा धार्मिक विद्यालय संचालनार्थ अर्थव्यवस्था
पूज्य मुनिराजश्री की प्रेरणा तथा सदुपदेश से अखण्ड ज्योति तथा धार्मिक विद्यालय के संचालनार्थ एक पंचवर्षीय अनुदान योजना बनाई गई । अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने (जिसमें बाहर के भी थे) इस योजना में भाग लेकर पावन प्रवृत्तियों के संचालन में सहयोग प्रदान किया।
जीव दया
नगर में वर्षों से “जीवदया” का कार्यक्रम संचालित हो रहा है जिसमें अपंग, अंधी, बधकेन्द्रों से मुक्त की गई गायों को संरक्षण दिया जाता है। मनिराज श्री की प्रेरणा से दान कर जीव दया का लाभ श्रावक-श्राविकाओं ने लिया । "राजेन्द्र ज्योति" प्रकाशन ___ अ. भा. श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद की कार्यकारिणी ने "राजेन्द्र ज्योति" स्मारक ग्रन्थ पूज्य गुरुदेव की १५० वी जन्मगांठ के अवसर पर प्रकाशित करने का निर्णय लिया। उसी संकल्प
सर्वधर्म समन्वय समारोह
राष्ट्रपिता बापू के जन्म दिवस के अवसर पर जैन दिवाकर जन्म शताब्दि के उपलक्ष्य में “युग चेतना" और सर्वधर्म समभाव" विषय पर नीमचोक स्थानक के प्रांगण में एक विशाल गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें नगर के अनेक विद्वान और संत उपस्थित हुए। मुनिराज श्री मधुकर,' मुनि श्री कमल, मुनि श्री सूर्योदय
वी. नि. सं. २५०३
Jain Education Intemational
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org