Book Title: Rajendrasuri Janma Sardh Shatabdi Granth
Author(s): Premsinh Rathod
Publisher: Rajendrasuri Jain Navyuvak Parishad Mohankheda
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रजत-मुद्राओं का निर्माण
भगवान महावीर की २५ सौंवीं निर्वाण शती, पूज्य जैनाचार्य श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी एवं अभिज्ञान राजेन्द्र कोष की स्मृति में रजत मुद्राएं निर्मित हुई उसमें नैनाबा श्री संघ (गुजरात) परिषद् शाखा रिंगनोद ने अपूर्व सहयोग प्रदान किया। इन रजत मुद्राओं से प्राप्त धनराशि परिषद् कोष में एकत्रित हुई। कुक्षी व बाग की ओर से विशेष सहायता मिली । परिषद् सहायता निधि
केन्द्रीय साधारण सभा द्वारा प्रस्ताव पारित कर परिषद् सहायता निधि मंजूषा का निर्माण किया गया जो प्रत्येक शाखा परिषदों को वितरित की गई।
परिषद् की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने हेतु ५१) या इससे अधिक रुपए प्रतिवर्ष प्रदान करने वाले महानुभावों ने घोषणाएं की। यह धनराशि तीन वर्ष निरन्तर देंगे । यह योजना निरन्तर है। परिषद् द्वारा अनुदान
इस अभियान से परिषद् का कोष भरने लगा। और आय के स्थायी स्रोत आरम्भ हुए तब परिषद् ने विभिन्न शाखा परिषदों को आर्थिक अनुदान की घोषणाएं आरम्भ की । सर्वप्रथम शाखा परिषद् मन्दसौर शिलालेख के निर्माण हेतु, अलिराजपुर को जैन विद्यालय हेतु, जावरा महिला परिषद को संगीत वाद्य क्रय करने हेतु अनुदान प्रदान किया गया। महामंत्री का मध्यप्रदेश प्रवास
धार्मिक रेकार्डस् ___मेंगलवा और चौराउ निवासियों ने परिषद् को धार्मिक रेकार्डस् बनाने में सहयोग दिया । यह कार्य श्री सी. वी. भगत की देखरेख में बैंगलोर में संपन्न हुवा । इन रेकार्डस् का विक्रय चालू है।
श्री तगराज हिराणी और मैंने मंगलवा प्रतिष्ठा के अवसर पर जालोर जिले का प्रवास किया। श्री जैन संघ मेंगलवा ने प्रेरणा स्वरूप परिषद् को धनराशि भेंट की, जो अब तक प्राप्त धनराशि में सर्वाधिक है। स्वर्णगिरि तीर्थ दुर्ग जालोर में कार्यकारिणी की बैठक
केन्द्रीय कार्यकारिणी की बैठक स्वर्णगिरि तीर्थ दुर्ग जालोर में फरवरी '७७को हई। परिषद की आय के आधार पर केन्द्रीय कार्यकारिणी ने विचार-विमर्श किया। जालोर जिले के एक महाविद्यालयीन छात्र को ७५) प्रतिमाह छात्रवृत्ति, जालोर नगर के चिकित्सालय के सार्वजनिक रोगियों की सहायता हेतु २००१) तथा दुर्ग मार्ग पर स्थित प्याऊ हेतु १५०१) की आर्थिक सहायता केन्द्रीय परिषद् द्वारा दी गई। इस प्रकार परिषद् आर्थिक योगदान के माध्यम से जनजीवन में घुल-मिल गई। एकादश अधिवेशन
निम्बाहेड़ा नगर में परिषद् का एकादश अधिवेशन संपन्न हुवा । शासकीय उ. मा. विद्यालय निम्बाहेड़ा के वाचनालय कक्ष के निर्माण हेतु २५०१) तथा शाखा परिषदों के धार्मिक विद्यालयों सिलाई केन्द्रों व संगीत विद्यालयों के लिए अनुदान घोषित किए गए। मध्यमवर्गीय परिवारों को सहायता
परिषद् ने समाज के मध्यमवर्गीय परिवारों की आर्थिक स्थिति सुधारने हेतु योजना बनाई। इसके अन्तर्गत गुप्त रूप से १००) या अधिक प्रतिवर्ष देने वाले सदस्य बनाये गये। वह प्राप्त धनराशि गुप्त रूप से देने हेतु परिषद् के शाखाध्यक्ष को अधिकृत किया गया । उनकी अनुशंसा के आधार पर सीधे उन परिवारों को आर्थिक सहायता भेजी जा रही है। बचत बैंक
समाज की आर्थिक स्थिति के सुधार हेतु परिषद की एक विशिष्ट उपलब्धि बचत बैंक । बचत बैंक द्वारा समाज के लिए एक नया आर्थिक स्रोत आरंभ हआ। विभिन्न शाखा परिषदों में इस योजना का स्वागत किया गया।
इसी उद्देश्य को लेकर निम्बाहेड़ा अधिवेशन के अवसर पर एक केन्द्रीय बैकिंग मंत्री पद का निर्माण किया। वर्तमान में राणापूर, अलिराजपुर, पाया आदि स्थानों पर बचत बैंके कार्यशील हैं। "राजेन्द्र-ज्योति प्रकाशन"
पूज्य जैनाचार्य श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी महाराज के १५० वीं जन्म सार्ध शताब्दी की स्मृति में "राजेन्द्र ज्योति" नामक स्मारक ग्रन्थ का प्रकाशन केन्द्रीय परिषद् द्वारा किया जा रहा है । इस ग्रन्थ के प्रकाशन के प्रति परिषद में सर्वत्र अदम्य उत्साह है। यह परिषद् की अद्वितीय उपलब्धि प्रमाणित होगी। आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन
परिषद् की इन गतिविधियों के लिए समय-समय पर वर्तमान आचार्य श्रीमद् विजय विद्याचन्द्र सूरीश्वरजी महाराज का प्रेरणा स्वरूप आशीर्वाद तथा पूज्यपाद मुनिराज जयन्तविजयजी 'मधुकर' का मार्गदर्शन मिल रहा है। केन्द्रीय परिषद् और शाखा परिषदें कृतज्ञ हैं और ऋणी हैं।
अनन्तर समस्त शाखाओं में व्यवस्थित गतिविधियां संचालित हो उसके लिए ७-१०-७६ से महामंत्री श्री सी. वी. भगत श्री सोभाग्यमल सेठिया और जावरा शाखा मंत्री श्री पन्नालाल हरण और मैंने श्री सोभाग्यमल मध्यप्रदेश क्षेत्र का प्रवास किया। इस प्रवास के मध्य श्री सी. बी. भगत ने समाजोत्थान, धार्मिक शिक्षण, संगीत शालाओं तथा समाजोपयोगी गतिविधियों के लिए लगभग बीस हजार रुपये अनुदान प्रदान करने की घोषणाएं की। इन घोषणाओं में धार छात्रावास को ८००१) रुपये तथा विभिन्न शाखा परिषदों के धार्मिक विद्यालयों के संचालनार्थ ५०) तथा ७५) प्रतिमाह दिये जाने की घोषणाएं प्रमुख हैं। पश्चात् सिलाई केन्द्रों को मशीनें भेंट की गई। इस प्रकार परिषद में स्थायी रूप से अनुदान देने के लिए प्रथम प्रयास आरम्भ हुआ वह गतिशील है। राजस्थान प्रवास
श्री तगराज हिराणी (केन्द्रीय उपाध्यक्ष) का राजस्थान क्षेत्र में प्रवास हुवा । इस अवधि में केन्द्रीय परिषद् को रेवतडा (राज.) तथा सामला से नो सिलाई मशीनें प्राप्त हुई तथा धार्मिक विद्यालयों को अनुदान दिये जाने हेतु धानसा तथा रेवतडा के भाइयों ने प्रसन्न होकर प्रतिमाह (एक वर्ष के लिए) सहयोग देने की घोषणा की।
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राजेन्द्र-ज्योति
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