Book Title: Rajendrasuri Janma Sardh Shatabdi Granth
Author(s): Premsinh Rathod
Publisher: Rajendrasuri Jain Navyuvak Parishad Mohankheda
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शेठ श्री धनराज जी मिश्रीलाल जी पारेख
गुरुभक्ति परायणा स्व. श्राविका सुकीबाई धर्मपत्नी
स्व. श्री रतनचन्द्र जो मांडोत, आहोर
१८८१ ई.-१९६० ई. शेठ जसजी पन्नाजी रतलाम के प्रतिष्ठित घराने में; मदुभाषी, मिलनसार, जैन-जैनेतरों में सम्मान; बम्बई में आयातनिर्यात का व्यवसाय, रतलाम में टेक्सटाइल मिल की स्थापना; १९२६ ई. में इन्दौर आगमन, सीमेंट, मिल स्टोर्स, 'अतुल' रंग, 'अनिल' स्टार्चेज और रासायनिकों का बड़े पैमान पर व्यापार; सामाजिक एवं धार्मिक कार्यों में प्रगाढ़ अनुराग, जीव रक्षा समिति के मंत्री जीव-हिसा निषेध सम्बन्धी कानूनों पर एक पुस्तक अपने जीवन काल में त्रिस्तुतिक समाज के एक प्रमुख स्तम्भ ।
आप यावज्जीव धर्माराधनामय जीवन व्यतीत करती रही हैं, परम श्रद्धावन्त जीवन आपका लक्ष्य रहा है । आपने श्री विशस्थानक तपाराधन, नवपदाराधन, वर्षीतप आदि अनेक तप किये और उद्यापन भी किये। जीवन के अन्तिम समय तक आपकी भावना धर्ममय बनी रही।
वी.नि.सं. २५०३
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