Book Title: Rajendrasuri Janma Sardh Shatabdi Granth
Author(s): Premsinh Rathod
Publisher: Rajendrasuri Jain Navyuvak Parishad Mohankheda
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समाज में परिषद् का आर्थिक योगदान
शान्तिलाल सुराणा
श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद् की मिती कार्तिक पूर्णिमा सं. २०१६ वि. को पू. पा. गुरुदेव श्रीमद् विजययतीन्द्र सूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से स्थापना हुई । स्थापना के साथ ही आर्थिक लक्ष्यों की प्राप्ति के प्रयास प्रारम्भ हुए।
सर्वप्रथम निम्नानुसार प्रमुख रूप से परिषद् को आर्थिक योगदान प्राप्त हुवा :१. श्री गोडी पार्श्वनाथ मण्डल आहोर से दिनांक रुपये ३-१२-५९ को प्राप्त
१५०) २. उपधान के अवसर पर श्री मोहनखेड़ा तीर्थ से दिनांक २८-१२-६१ को प्राप्त
५०१) ३. श्री जैन श्वेताम्बर संघ, थराद से दिनांक १९-१०-६१ को प्राप्त
१०१) ४. श्री जैन संघ बागरा से दिनांक ५-१०-६२ को प्राप्त १००१) ५. श्री जेठमल खुमाजी बागरा से दिनांक ५-१०-६२ को प्राप्त
३००) ६. श्री पार्श्वनाथ राजेन्द्र जैन श्वेताम्बर पेढ़ी सुरा . (राजस्थान) से दिनांक ५-११-६२ को प्राप्त ५००१) परिषद् का मुख-पत्र “शाश्वत धर्म"
उक्त आर्थिक कोष से परिषद् ने अपने कदम आरंभ किये यद्यपि यह धनराशि अल्प थी लेकिन समाज का उत्साह इससे झलकता है कि युवक परिषद्, समाज का एक अभिन्न अंग है। ___ "शाश्वत धर्म" जो समाज का मुखपत्र है। उसके प्रकाशन का भार परिषदों के कंधों पर था। इसके प्रकाशन में उक्त धनराशि का अधिकांश भाग व्यय हुआ। अतः परिषद् की आर्थिक स्थिति के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई।
नवीन उन्मेष
सन् १९७३ के २० अक्टूबर को केन्द्रीय परिषद् के पदाधिकारियों तथा कार्यकारिणी की बैठक का आयोजन रतलाम नगर में हुआ। इस बैठक में प्रत्येक उपस्थित महानुभावों ने आर्थिक योगदान की घोषणा की। महत्त्वपूर्ण प्रवास
श्री सौभाग्यमलजी सेठिया और मैंने दक्षिण भारत का प्रवास नवम्बर'७५ में किया। इस प्रवास के मध्य मद्रास परिषद् से ७००१) तथा बैंगलोर परिषद् से ५००१) धनराशि केन्द्रीय कोष को प्रदान करने की स्वीकृति प्राप्त हुई। परिषद् का दशम अधिवेशन
परिषद् का दशम अधिवेशन परमपावन मनोरम स्थली लक्ष्मणी तीर्थ की गोद में संपन्न हुवा। इस अधिवेशन के मध्य आर्थिक स्थिति पर विशेष ध्यान आकर्षित हुआ। इस अधिवेशन के अखिल भारतीय स्तर प्रतिनिधियों का आगमन हुआ। यहां यह उल्लेखनीय है कि दक्षिण भारत (बैंगलोर, मद्रास, आंध्र) गुजरात, राजस्थान आदि प्रान्तों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
___ अधिवेशन उद्घाटन के विभिन्न अवसरों पर बोलियां-घोषणाएं की गई जिनमें प्रमुख श्री मांगीलाल जैन, बैंगलोर, श्री सी. बी. भगत बैंगलोर, श्री तगराज हिराणी रेवतडा (राज.), श्री चन्द्रकान्त वुदरजी बम्बई, श्री चन्दुभाई दलसुखलाल भाई बम्बई, श्री हजारीमल गज्जाजी धानसा (राज.), एवं जैन रत्न सेठ श्री मंगल भाई संघवी (अहमदाबाद) पाटन नवयुवक परिषद्, पाटन । थराद नवयुवक परिषद् नडियाद आदि ने उल्लेखनीय आर्थिक योगदान किया।
वी. नि.सं. २५०३
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