Book Title: Rajendrasuri Janma Sardh Shatabdi Granth
Author(s): Premsinh Rathod
Publisher: Rajendrasuri Jain Navyuvak Parishad Mohankheda
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द्वितीय अधिवेशन, रतलाम के अवसर पर प्रेषित संदेश
होनहार नवयुवको ! आपके संघोन्नति कार्यों की सराहना करते हुए मैं आपसे यह आशा करता हूँ कि आप अपनी दृष्टि सर्व प्रथम धार्मिक शिक्षा प्रचार, समाज संगठन एवं समाज के मध्यमवर्ग की प्रगति पर केन्द्रित कर ठोस कार्यक्रम को ले कर आगे बढ़ायें । परिषद् का कार्य विशुद्ध सामाजिक है अतः आप प्रत्येक कार्यकरों के हृदय में मैं उस उत्साह को देखना चाहता हूँ कि जो स्थायी और संगठनात्मक हो । मेरे एक से अधिक अनुभव हैं कि समाजोन्नति के लिये जो संस्थायें स्थापित होती हैं और अपने उदयकाल में ही वे कार्यकर्ताओं के पारस्परिक अनैक्य और शिथिलता के कारण मृतप्रायः हो जाती हैं । अतएव आप अपने प्रत्येक कदम में स्थाइत्व लेकर चलिये, सफलता तुम्हारे साथ है। मैं संघस्थ प्रत्येक श्रावक-श्राविकाओं से आशा करता हूँ कि वे आपके प्रत्येक काम में आपको तन-मन-धन से सहयोग देकर समाजोन्नति के कार्य में हाथ बटावे । अन्त में मैं आप सभी परिषद् के कार्यकरों से यही चाहूँगा कि अपने सर्व कल्याणकर कार्यों से पूर्वजों की कीर्ति को प्रकाशित करें।
परम कृपालु पूज्य गुरुदेव श्री के पुण्य प्रताप से आप सभी प्रगति के पथ पर निरन्तर अग्रसर हों यही मेरी शुभकामना ।
मोहनखेड़ा तीर्थ राजगढ़ (धार)
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- विजययतीन्द्र सरि ता. १४-५-६०
राजेन्द्रज्योति
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