Book Title: Rajendrasuri Janma Sardh Shatabdi Granth
Author(s): Premsinh Rathod
Publisher: Rajendrasuri Jain Navyuvak Parishad Mohankheda
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स्व. गुरुदेव जैनाचार्य श्रीमद् विजय यतीन्द्र सूरीश्वर जी
म. सा. व्दारा परिषद् को प्रदत्त शुभाशीर्वाद
यग संगठन का है-प्रेम से भाई-भाई को गले लगाने का है, जिसका संगठन मजबूत है वह बड़ी ताकत को भी जीत सकता है, यह प्रायः सर्वत दृष्टिगोचर हो रहा है। वर्तमान के विषम समय में समाज का संगठन और भ्रातृत्व का निर्माण करने के लिये आज हमारे सम्मुख युग की आवाज है। यह जानकर अतीब प्रसन्नता हो रही है कि जिन क्षतियों की पूर्ति होना परम आवश्यक है उनकी पूर्ति हेतु समाज के नवयुवकों में नवचेतना प्रस्फुटित होकर कार्य करने की भावना जागृत हुई है। समाज संगठन के अतिरिक्त अन्य बातों की पूर्ति के लिये 'श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद्' का संचालन धन्यवादाह है। समाज के प्रत्येक व्यक्ति को चाहिये कि वह तन, मन, धन से सहयोग देकर समाज सेवा के महायज्ञ को सफल बनावें। परम योगी पूज्य गुरुदेव श्री के. पावन पुण्य प्रताप से परिषद् अपने उद्देश्यों की पूर्ति में सफलता पाप्त करे यही मेरी हार्दिक शुभकामना है।
श्री मोहनखेड़ा तीर्थ, पौष सूद ७ (गुरु सप्तमी) वि.सं. २०१६
वी. नि. सं. २५०३
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