Book Title: Rajendrasuri Janma Sardh Shatabdi Granth
Author(s): Premsinh Rathod
Publisher: Rajendrasuri Jain Navyuvak Parishad Mohankheda
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परिषद् के समस्त कार्यकर्तागण !
धर्मलोभ
मुझे अतीव ही प्रसन्नता है कि तुम सभी स्व-पू० पा० गुरुदेवश्री के सन्देश ध्यान में रखते हुए समाजव संघ के कार्य करने में उत्साहित हैं। वैसे सभी एक विचार धारा के नहीं होते फिर भी सभी से सहयोग व सद् भावना रखते हुए परिषद् की भावना को साकार करने का लक्ष्यदृष्टि के सामने रखकर सक्रिय हो काम करें।
All 99 प्रभु श्रीराजेन्द्र सूरीश्वर गुरुभ्यो नमः अखिल भारतीय
हि श्रीराजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद्
समस्त शाखाओं के नाम
५० पा० गुरुदेव जैनाचार्य श्रीमद्विजयविद्याचन्द्र सूरीश्वरजी महाराजका
शुभ सन्देश ॥
मैं आप सभी से यही अपेक्षा करना हूँ ।
श्रमण भगवन्त श्री महावीर स्वामी को २५०० जाँ निर्वाण उत्सब भी आ रहा है उस प्रसंग को भी रचनात्मक कार्यक्रमों के साथ सम्पन्न करने की दिशा में कदम बढ़ाना है। परिषद् कार्यालय से समय र पर सूचना ऐमिलती रहेगी, तदनुसार कार्यक्रम की सफलता के लिये आप सभी अवश्य ही संकल्प कर लें।
मैं
उत्साही के रूप में देखना चाहता हूँ कि गुरुदेव द्वारा हमे आप सभी को निरुत्साही नहीं किन्तु प्रबल
यह निश्चित मान लें
'चलें यही कर्तव्य
जो मार्ग मिला है उस पर हढ़ता फालन का सध्या स्वरूप है!
वी. नि. सं. २५०३
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सभी कार्यकर्ताओं को धर्मलाभ कहे। धर्म उद्यम रखें ।
विजयविद्याचंद्रसूर का धर्मलला
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खाचरौद दि. ७७४।७४
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१५.
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