Book Title: Rajendrasuri Janma Sardh Shatabdi Granth
Author(s): Premsinh Rathod
Publisher: Rajendrasuri Jain Navyuvak Parishad Mohankheda
View full book text
________________
परिषद् की स्थापना के साथ ही
पू. पा. गुरुदेव श्रीमद्विजय यतीन्द्र सूरीश्वरजी महाराज की शुभ प्रेरणा
परिषद् की प्रगति समाज की प्रगति है, मैं इसकी सफलता चाहता हूं । परिषद् समाज में नव चैतन्य, नव जागरण और प्रबुद्धता का संचार करे । परिषद् की ओर से धार्मिक पाठशालाओं का संचालन हो और परिषद् का अपना अनूठा अभ्यासक्रम हो ।
परिषद् की स्थान-स्थान पर शाखाएं स्थापित करवाई जायें और उसके माध्यम से सामाजिक कार्यों का संचालन किया जाय ।
Jain Education International
परिषद् को समाज का हर एक व्यक्ति तन-मन और धन से सहयोग देकर मजबूत करे । परिषद् के सदस्य निःस्वार्थ भाव से काम करें और अपना कर्त्तव्य समझ कर दक्ष रहें । परिषद् को किसी भी प्रकार की दलबन्दी व समाज को हानिकारक वातावरण से दूर रखा जाना चाहिये ।
परिषद् अपने कृतसंकल्पों को साकार करे, यह मेरी हार्दिक शुभकामना है । श्री मोहनखेड़ा तीर्थ
कार्तिक पूर्णिमा, २०१६
वी. नि. सं. २५०३
For Private Personal Use Only
- विजय यतीन्द्र सूरि
५
www.jainelibrary.org