Book Title: Rajendrasuri Janma Sardh Shatabdi Granth
Author(s): Premsinh Rathod
Publisher: Rajendrasuri Jain Navyuvak Parishad Mohankheda
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0 "जिसका संगठन मजबूत है, वह बड़ी ताकत को भी जीत सकता
है, यह प्रायः सर्वत्र दृष्टिगोचर हो रहा है। वर्तमान के विषम समय में समाज का संगठन और भ्रातृत्व का निर्माण करने के लिए आज हमारे सम्मुख युग की आवाज है।
-यतीन्द्र सूरीश्वर : प्रथम अधिवेशन. वि. सं. २०१६
7 “परिषद् हमारे नवयुवकों के लिए धर्म का साधन है। जब तक
हमारा संगठन नहीं होगा, धार्मिक भावनाएँ नहीं आ सकेंगी।
-संघ-प्रमुख मुनिराज विद्याविजयजी;
चतुर्थ अधिवेशन, वि.सं २०१९
0 "वैसे सभी एक विचार-धारा के नहीं होते; फिर भी सभी से सहयोग
व सद्भावना रखते हुए परिषद् की भावना को साकार करने का लक्ष्य दृष्टि के सामने रखकर सकिय हो काम करें।
-वर्तमानाचार्य विजय विद्याचन्द्र सूरि;
नवम अधिवेशन, वि. सं.२०३१
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