Book Title: Rajasthani Jain Sahitya
Author(s): Manmohanswarup Mathur
Publisher: Rajasthani Granthagar

View full book text
Previous | Next

Page 16
________________ राजस्थानी जैन साहित्य की रूप-परम्परा डा. दशरथ ओझा रासौ शब्द को संस्कृत के शब्द से व्युत्पन्न न मानकर देशी भाषा काही शब्द मानते हैं, जिसे बाद में विद्वानों ने संस्कृत से व्युत्पन्न मान लिया है। 1 डा. मोतीलाल मेनारिया रासौ की व्याख्या करते हुए लिखते हैं- “ चरितकाव्यों" में रासौ ग्रन्थ मुख्य है । जिस काव्य ग्रन्थ में किसी राजा की कीर्ति, विजय, युद्ध, वीरता आदि का विस्तृत वर्णन हो, उसे रासो कहते हैं | 2 निष्कर्ष रूप में रासौ रसाइन शब्द से व्युत्पन्न माना जा सकता है । जैन-साहित्य के संदर्भ में ये लौकिक और शृंगारिक गीत रचनाएं हैं, जिसमें जैनियों ने अनेक चरित काव्यों का निर्माण किया । ये रासौ काव्य शृंगार से आरम्भ होकर शान्तरस में परिणत होते है । यही जैन रासौ काव्य का उद्देश्य है । इस परम्परा में लिखे हुए प्रमुख रासौ ग्रन्थ हैं - विक्रमकुमार रास (साधुकीर्ति ) 3, विक्रमसेन रास ( उदयभानु) 4, बेयरस्वामी रास (जयसागर) 5, श्रेणिक राजा नो रास (देपाल), नलदवदंती रास (ऋषिवर्द्धन सुरि) 7, शकुन्तला रास (धर्मसमुद्र गणि) 8, तेतली मंत्री रास (सहजसुंदर) वस्तुपाल - तेजपाल रास (पार्श्वचंद्र सूरि)10, चंदनबाला रास (विनयसमुद्र) 11, जिनपालित जिनरक्षित रास ( कनकसोम) 12, तेजसार रास, अगड़दत्त रास ( कुशललाभ) 13, अंजनासुन्दरीरास (उपाध्याय गुणविनय) 14 1. 2. 3. 4. हिन्दी नाटकः उद्भव और विकास, पृ. 70 (द्वितीय संस्करण) राजस्थान का पिंगल साहित्य, पृ. 24 (1952 ई.) जैन गुर्जर कविओ, भाग 1, पृ. 34-35 वही, पृ. 113 वही, पृ. 27 वही, पृ. 37, भाग 3, पृ. 446, 496 जैन साहित्य नो संक्षिप्त इतिहास, पृ. 750, 768 जैन गुर्जर कविओ, भाग 1, पृ. 116, भाग 3, पृ. 548 9. वही भाग 1, पृ. 120, भाग 3, पृ. 557 10. वही भाग 1, 139 पृ., भाग 3, पृ. 586 11. राजस्थान भारती, भाग 5 अंक 9 जनवरी 1956 5. 6. 7. 8. 5 12. युगप्रधान श्री जिनचन्द्रसूरि, पृ. 194-95 13. मनमोहनस्वरूप माथुर - कुशललाभ; व्यक्तित्व और कृतित्व, पृ. 27 14. शोध पत्रिका, भाग 8 अंक 2-3, 1956 ई.

Loading...

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128