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स्थूलभद्र - कथा और तत्सम्बन्धी राजस्थानी रचनाएं
33. स्थूलिभद्र चरित सरणार्थ
34. स्थूलभद्र बारमासादि
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(राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर, ग्रंथ 32714)
35. स्थूलभद्र फाग
रत्नवल्लभ
(जैन गुर्जर कविओ, भाग 3, पृ. 412)
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इस प्रकार विक्रम की 12 वीं शताब्दी से 19 वीं शताब्दी तक स्थूलभद्र से सम्बन्धित अद्यावधि रचनाएं उपलब्ध हो गई हैं। भाषा की दृष्टि से इनकी भाषा प्राकृत, अपभ्रंश और गुजराती मिश्रित राजस्थानी भाषा ही है। इन सभी कृतियों पर तत्त्कालीन प्रचलित भाषाओं एवं उनकी रूप रचना का पूर्ण प्रभाव है । अतः भाषा एवं जैन संस्कृति की दृष्टि से इन रचनाओं का विशेष महत्व कहा जा सकता है ।
33. राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर, ग्रंथ 2509