Book Title: Rajasthani Jain Sahitya
Author(s): Manmohanswarup Mathur
Publisher: Rajasthani Granthagar

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Page 94
________________ नागौर जनपद के प्रमुख जैन कवि और उनकी रचनाओं में चित्रित ऐतिहासिक संदर्भ 83 "जुगमंधर स्तवन (वि.सं.1821, नागौर)', समाधि पच्चीसी (वि.सं.1833, मेड़ता), मरुदेवी सज्झाय (वि.सं.1833, मेड़ता), महावीर जी रो चौढालियो (वि.सं. 1839, मेड़ता)2, मेतारज चौपई (वि.सं.1842, नागौर), जयवंती रो सतढालियो (वि.सं.1842, नागौर)3. कलावती चौपई (वि.सं.1837. मेड़ता), ऋषभचरित (वि.सं. 1840, पीपाड) आषाढ़भूति पंचढालियो (वि.सं. 1837, नागौर), सम्यकत्व चौढालियो (वि.सं. 1833, पीपाड़), नालंदापाड़ा सज्झाय (वि.सं.1838, नागौर), दीवाली स्तवन (वि.सं.1847, मेड़ता), रावण ढाल (वि.सं.1833, मेड़ता) देवकी ढाल (वि.सं. 1838, नागौर), नंदण मणिहार चौपई, वि.सं. 1821, नागौर), ज्ञान गुणमाला (वि.सं. 1855, मेड़ता), तपोधन अणगारढाल (वि.सं. 1842, नागौर), कृपण पच्चीसी (मेड़ता), दीक्षा पच्चीसी (वि.सं. 1836, नागौर) आदि। 12. उत्तमचंद भण्डारी ये जोधपुर के महाराजा मानसिंह के सचिव, मित्र एवं उच्च कोटि के साहित्यकार थे। राजकीय कार्यों से ये नागौर में काफी समय तक रहे । इसी काल में यहां भंडारी जी ने काव्यशास्त्रीय ग्रंथ “अलंकार आशय" का सर्जन किया । इस रचना के अतिरिक्त उत्तमचंद भंडारी की अन्य रचनाएं तर्क-तत्वनाथ चन्द्रिका भी है। ये प्राकृत, अपभ्रंश और संस्कृत के अच्छे ज्ञाता थे। भाषाओं के साथ ही काव्यशास्त्र की शिक्षा इन्होंने अपने अनुज उदयचंद भंडारी को दी। कविराज बांकीदास से इनकी गहरी मित्रता थी । वस्तुतः उन्हें राजदरबार में ले जाने का श्रेय उत्तमचंद भंडारी को ही जाना चाहिये। 13. उदयचंद भण्डारी जोधपर नगर के त्रिपोलिया बाजार में स्थित ‘पेटी का नोहरा' नामक स्थान पर इनका जन्म वि.सं. 1840 की ज्येष्ठ कृष्णा चतुर्दशी गुरुवार के दिन हुआ था। इनका जन्म नाम आनन्दमल्ल था। धार्मिक दृष्टि से ये जैन सम्प्रदाय की तपागच्छीय शाखा के अनुयायी थे। इनके संभावित गुरु मुनि सागरचंद्र जी थे। उदयचंद अच्छे राजनीतिज्ञ और प्रशासक थे। इसी कुशलता के कारण वे नागौर जनपद के डीडवाना, मेड़ता, नागौर की दीवानी अदालतों में अधिकारी रहे । 1. राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर, ह. लि. ग्रं. 10907(4), पत्र 7-8 2. वही,10907(3), पत्र 6-7 3. राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर,ग्रं.11994, पत्र 1-4

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