________________
54
राजस्थानी जैन साहित्य
8. मालदेव कृत फुटकर छंद (वि.17 वीं शती) 9. वादिचंद्र कृत अंबिका कथा (वि.17 वीं शती) 10. हेम कवि कृत पद्मावती छंद (वि.17 वीं शती) 11. अज्ञात कवि कृत अंबिका देवी पूर्वभव वर्णन तलहरा, 12. संघ विजय कृत भारती अथवा भगवती छंद (वि.सं. 1687) 13. लक्षराजकृत कालिका जी रा दूहा (वि.सं. 1708) 14. कान्ह कवि कृत चौथ माताजी रो छंद (वि.सं.1767), और 15. जयचंद यति कृत माताजी री वचनिका (वि.सं. 1776) ___इनमें से कुछ रचनाओं का संक्षिप्त परिचय यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा हैअंबिका छंद
जैन देवियों सम्बन्धी इस स्तोत्र काव्य की रचना कीर्तिमेरू ने वि.सं. 1487 के आस-पास की। कवि ने इसमें अंबिका की स्तुति हरिगीतिका छंद की देशी ढाल में की है । अनुप्रास और माधुर्य की छटा कीर्तिमेरू का वैशिष्ट कहा जना चाहिये। एक उदाहरण द्रष्टव्य है
“सुगुण मंदिर, अतिहि सुंदर, सिर ससिहर धारिणी, कानि कुंडल, सु-मंडल, लीण गजगति गामिणी, रूपरंभ कि वयण चंद कि, नयण पंकज हारिणी,
नयणि अंजन जनह, भवह भंजण भामिणी ॥" शारदा छंद
विनय कुशल के शिष्य शांति कुशल द्वारा रचित यह रचना दो पत्रों में प्रतिलिपित है । कवि ने इसकी रचना अडयल छंद में की है । देवी के विभिन्न पर्यायों द्वारा उसके गुणों का बखान करना ही इस स्तोत्र कृति का प्रमुख लक्ष्य है। मां शारदा के गुणों को स्पष्ट करने वाली कुछ पंक्तियां प्रस्तुत हैं
“तू अंबा बे तुं अंबाई, तु श्री माता तु श्रुतदाई, तू भारती तूं भगवती, तु कुमारी, तु गुणसती तू वराही तुहिज चंडी, आदि ब्रह्माणी तुंहिज मंडी हरिहर ब्रह्म अवर जे कोई, ताहरी सेव करे ते कोई