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राजस्थानी की जैन- प्रेमाख्यानक रचनाएं
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प्रमुख कारण गुजराती और राजस्थानी भाषा का एक ही मूल शैरसेनी अपभ्रंश से उद्गम एवं मध्यकाल में गुजरात और राजस्थान की भौगोलिक तथा सांस्कृतिक एकता का होना है ।
इस प्रकार राजस्थानी की जैन प्रेमाख्यानक रचनाएं मध्यकालीन राजस्थानी संस्कृति एवं साहित्यिक प्रवृत्ति के जीवन्त प्रतीक है । उनमें प्रकृति का खुल कर प्रयोग किया गया है । ये प्रयोग आलंबन की अपेक्षा उद्दीपन रूप में अधिक हुए हैं I