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अशुद्धि
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किसो भी कारण जम्प भा
२७५ २७५ २७७
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प्रदेश ध्यवहार
२८०
२७ ११
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व्यहार वह पब जीवत्व
२८१
निधिकार पयथाजात जानरूपधर यथाजावरूप आलाचनविष वदमिदिदिय छेदोपस्थाश्या निवेश प्रगिति द्र न्यायिक नोरंब धिकथा जिसके तत्प्रत्ययक
अन्न जीवाव स्वभाव
४००
स्दभाव
बाघ
३११
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१६
कहना तादात्म्य
करना तावा पत्रों ओर
क्यों
निधिकार अयथाजात ३८८ जातरूपधारत्व यधाजातरूप आलोचनविष यदम मिदिदिय छेदोपस्थापना २६६ निर्देश प्रगति द्वाधिक ४०४ नीरंग
४०४ विकथावों में ४०५ जिराके है ४१० तत्प्रत्यक
४१० नहीं
४१३ निर्गन्य ४२१
४२२ मार्ग ४२२ योग्य
काहारपने की ४३१ हिसाका ४३३ अहिसायं द्रष्याथिकनय
४४१ जिसने पदार्थों को ४४२ परास्मज्ञान ४४२ एकता सवेदम हो रहे
और
३५७ निमित्तमात्र है, आत्मा ३४८ उनका कर्ता नहीं कम्मरजेहि हलाहल ३५२ तोत्र तीयानुभाग
करमरजेहि हालाहल
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निर्गन्य चित्र माग योग्य युक्ताहारपनेही हिणका अष्टिपायें द्रव्याथिकनय
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नीत्र
तीबानुभाग
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अतम्पय
अतरमय
३५८
सहजानन्दम् जाता
परमाध्यस्थ्य
सहजानन्दामृत होता परमाराध्यस्थ अशुद्धता पदार्थ
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जिसमें पदार्थोंको परमत्मज्ञान सकता संवेदन
अगुत्तत्ता पदार्थ
३६६
३६८
४४६
साय
सनत अवादि अधमोदय अत जनशरीर
३७२ ३८१ ३८२
साथ
सतत अनादि अवमोदयं अब जनकधारीर
३८३
१४
श्र
४७१
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श्रम उपदेश
उपटेश
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