Book Title: Pravachansara Saptadashangi Tika
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ आत्मा धर्मः स्वयमिति इत्याध्यास्य शुभोपयोग इत्युच्छेदात्परपरिणते: इत्येवं चरणं पुराणपुरुषः इत्येवं प्रतिपत्त राशय जानन्नप्येष विश्वं जैनं ज्ञानं ज्ञयतत्त्व ज्ञेयोकुर्वन्नञ्जसा तन्त्रस्यास्य शिखण्डि कलशकाव्योंकी वर्णानुक्रम सूची छन्द नं० ५ १७ ८ १५ १६ ४ १० ११ १८ पृष्ठ नं० १६४ ५०५ २४३ ४३८ द्रव्यान्तरव्यतिकरा ४६३ निश्चित्यात्मन्यधिकृत ६३ परमानन्दसुधारस ३७६ वक्तव्यमेव किल ३७६ सर्वव्याप्येकचिद्रूप ५०५ हेलोल्लुप्त महामोह द्रव्यसामान्यविज्ञान द्रव्यस्य सिद्धौ चरणस्य द्रव्याणुसारि चरणं छन्द नं० र्द १३ १२ ७ ६ ३ १४ १ २ पृष्ठ नं० २४३ ३७८ ३७६ २४३ १६४ १ ४१२ १ १

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 528