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३४ प्रमाप्रमेयम्
[१.३४सपक्षे सुखादौ नास्ति, नित्यविपक्षरूपायां पृथिव्याम् अस्मदादिप्रत्यक्षत्वमस्ति, तद्गतपरमाणुषु नास्ति । पक्षसपक्षव्यापको विपक्षकदेशवृत्तियथा-गौरयं विषाणित्वात् । अयमिति पुरोवर्तिनि पक्षे विषाणित्वं व्याप्तमस्ति, तथा सपक्षरूपेषु अन्यगोषु च विषाणित्वमस्ति, गवां विपक्षरूपे महिषादौ च विषाणित्वं विद्यते, तेषां विपक्षरूपे खरतुरगादौ विषाणित्वं न प्रकाशते। पक्षविपक्षव्यापकः सपक्षैकदेशवृत्तिः यथानायं गौः विषाणित्वात् । अयमिति पुरोभागिपक्षे विषाणित्वं व्याप्तमभूत् । गौर्न भवति महिषीत्यस्य विपक्षो गौर्भवतीति तत्रापि विषाणित्वं विद्यते । गौर्न भवतीत्यस्य सपक्षो महिष्यादिः तेषु च विषाणित्वं विद्यते, खरतुरगादौ नास्ति ॥
होना यह हेतु सर्वत्र व्याप्त है, सपक्ष में वट पट इत्यादि अनित्य पदार्थों में वह है किन्तु सपक्ष के ही सुख इत्यादि अनित्य वस्तुओं में यह हेतु नही है विपक्ष में नित्य पृथ्वी में हम जैसों को प्रत्यक्ष द्वारा ज्ञात होना यह हेतु है, किन्तु उसी पृथ्वी के परमाणुओं में यह हेतु नही हैं। पक्ष और सपक्ष में व्यापक तथा विपक्ष के एक भाग में रहनेवाले अनैकान्तिक का उदाहरणयह बैल हैं क्यों कि इसे सींग है । यह इस शब्द द्वारा वर्णित जो सामने स्थित है उस प्राणी में अर्थात पक्ष में सींग होना यह हेतु है, जो सपक्ष हैं उन दूसरे बैलों में भी यह सींग होना विद्यमान है, बैलों के लिए विपक्ष ऐसे भैसे आदि में भी सींग होना यह हेतु है किन्तु उसी विपक्ष के गधे, वोडे आदि प्राणियों में यह हेतु नही है । पक्ष और विपक्ष में व्यापक तथा सपक्ष के एक भाग में रहनेवाले अनैकान्तिक का उदाहरण-यह बैल नही है क्यों कि इसे सींग हैं। यहां यह इस शब्द द्वारा वर्णित आगे खडे हुए प्राणी अर्थात पक्ष में सींग होना यह हेतु व्याप्त है, जो बैल नही है उस भैंस का विपक्ष बैल यही होगा, उस विपक्ष में भी सींग होना यह हेतु है, भैंस आदि सपक्ष-जो बैल नही हैं उस में भी यह हेतु (सींग होना) विद्यमान है, किन्तु सपक्ष में ही समाविष्ट ( जो बैल नहीं हैं ऐसे ) गधे, घोडे आदि में यह हेतु नही है।
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