Book Title: Pramapramey
Author(s): Bhavsen Traivaidya, Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Gulabchand Hirachand Doshi

Previous | Next

Page 175
________________ - प्रमाप्रमेयम् । अंगबाह्य ग्रन्थों का वर्गीकरण नन्दीसूत्र (सू. ४३) में इस प्रकार मिलता है - अंगबाह्य के दो भाग है - आवश्यक तथा आवश्यकव्यतिरिक्त । आवश्यक के छह भाग हैं -सामायिक, चतुर्विंशतिस्तव, वन्दना, प्रतिक्रमण, कायोत्सर्ग, प्रत्याख्यान | आवश्यकव्यतिरिक्त के दो भाग हैं - कालिक और उत्कालिक । उत्कालिक के बहुतसे भाग हैं - दशवैकालिक, कल्पाकल्प, चुल्लकल्प, महाकल्प, औपपातिक, राजप्रश्नीय, जीवाभिगम, प्रज्ञापना, नन्दी, अनुयोगद्वार इत्यादि । कालिक के भी बहुतसे भाग हैं - उत्तराध्ययन, व्यवहार, निशीथ, ऋषिभाषित, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति, चन्द्रप्रज्ञप्ति, द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, निरयावली, इत्यादि । उपर्युक्त ग्रन्थों में से अधिकांश इस समय श्वेताम्बर परम्परा में प्रसिद्ध हैं। द्रव्यप्रमाण (परि० १२५) यहां द्रव्यप्रमाण के छह प्रकार बतलाये हैं। इस विषय का विस्तृत वर्णन अनुयोगद्वार सूत्र (सूत्र १३२ ) में प्राप्त होता है । वहां दी हुई कुछ तालिकाएं इस प्रकार हैं - धान्यमान की तालिकाः-२ असई = १ पसई; २ पसई = १ सेइया; ४ सेइया = १ कुलक; ४ कुलक = १ प्रस्थ; ४ प्रस्थ = १ आढक; ४ आढक = १ द्रोण; ६० आढक = १ जघन्यकुंभ; ८० आढक = १ मध्यम कुंभ; १०० आढक = १ उत्तम कुंभ; ८०० आढक = १ वाह । रस (तरल पदार्थ) मान की तालिकाः-१ मानी-२५६ पल = २ अर्धमानी; १ अर्धमानी = २ चतुर्भागिका; १ चतुर्भागिका =२ अष्टभागिका; १ अष्टभागिका = २ षोडशिका । उन्मान ( तौलने के बाटों ) की तालिकाः २ अर्धकर्ष = १ कर्ष; २ कर्ष = १ अर्धपल; २ अर्घपल = १ पल; ५०० पल = १ तुला; १० तुला = १ अर्धभार; २० तुला = १ भार । .:: प्रतिमान (छोटे बाटों) की तालिकाः १. विभागनिष्फप्णे ( दव्वपमाणे ) पंचविहे पणत्ते, तं जहां, माणे, उम्माणे, अवमाणे, गणिमे, पडिमाणे । इत्यादि. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184