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प्रमाप्रमेयम्
[१.१३०
[१३०. उपसंहारः]
भावसेनत्रिविद्यार्यो वादिपर्वतवज्रभृत् । सिद्धान्तसारशास्त्रेऽस्मिन् प्रमाणं प्रत्यपीपदत् ॥ १०२॥
इति परवादिगिरिसुरेश्वरश्रीमद्भावसेनत्रैविद्यदेवविरचिते सिद्धा. न्तसारे मोक्षशास्त्रे प्रमाणनिरूपणं नाम प्रथमः परिच्छेदः॥
वादी रूपी पर्वतों के लिए इन्द्र के समान भावसेन त्रिविद्यार्य ने इस सिद्धान्तसार शास्त्र में प्रमाण का प्रतिपादन किया।
इस प्रकार प्रतिपक्ष के वादीरूपी पर्वतों के लिए इन्द्र सदृश श्रीभावसेन विद्यदेव द्वारा रचित सिद्धान्तसार मोक्षशास्त्र का प्रमाणनिरूपण नामक पहला परिच्छेद समाप्त हुआ ।।
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