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१२० प्रमाप्रमेयम्
[१.१२६प्रतिमानं ऋय्यपदार्थस्य मूल्यं काकिणीविंशत्रिंशार्धपादपादपणनिष्कादयः। गणनामानं संख्यातासंख्यातानन्तभेदात् त्रिधा । तत्र संख्यातं जघन्यमध्यमोत्कृष्टभेदात् त्रिविधम् । असंख्यातमनन्तं च परिमितयुक्तद्विकवारभेदात् त्रिविधम्। तत्प्रत्येकं जघन्यमध्यमोत्कृष्टभेदात् त्रिविधमिति गणनामानम् एकविंशतिभेदभिन्नम्। लिखितसाक्षिभुक्तिस्थापितपाषाणादयश्च ॥ [१२६. क्षेत्रप्रमाणम् ]
क्षेत्रप्रमाणम् -उत्तममध्यमजघन्यभोगभूकर्मभूजशिरोरुहलक्षतिलयवाङ्गुलान्यष्टाष्टगुणितानि। द्वादशाइगुलैः वितस्तिः। वितस्तिभ्यां कट्टिला आदि प्रतिमान ( बाट) के प्रकार हैं । खरीदनेयोग्य पदार्थ के मूल्य को तत्प्रतिमान कहते हैं, जैसे काकिणी, विंश, त्रिंश, अर्धपाद, पाद, पण, निष्क आदि । गणनामान के तीन प्रकार हैं - संख्यात, असंख्यात और अनन्त | संख्यात के तीन प्रकार हैं - जघन्य, मध्यम और उत्कृष्ट । असंख्यात और अनन्त के तीन-तीन प्रकार हैं - परिमित, युक्त तथा द्विरुक्त (पििमत असंख्यात, युक्त असंख्यात, असंख्यात असंख्यात, परिमित अनन्त, युक्त अनंत, अनंत अनंत)। इन में से प्रत्येक के जघन्य, मध्यम और उत्कृष्ट ये तीन-तीन भेद होते हैं । इन सब को मिलाकर गणनामान के इक्कीस प्रकार हैं। इस के अतिरिक्त लिखित (दस्तावेज), साक्षी, अधिकारी आदि द्वारा स्थापित ( सीमा बतानेवाले) पत्थर आदि का भी द्रव्यप्रमाण में समावेश होता है। क्षेत्रप्रमाण
क्षेत्रप्रमाण की गणना इस प्रकार है - उत्तम भोगभूमि, मध्यम भोगभूमि, जघन्य भोगभूमि, तथा कर्मभूमि के मनुष्यों के सिर के केश की चौडाई आठ आठ गुनी है। कर्मभूमि के मनुष्य के सिर के केश की चौडाई के आठगुना १ लक्ष होता है । आठ लक्षों का १ तिल होता है ।
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