Book Title: Panchashak Prakaran me Pratipadit Jain Achar aur Vidhi Vidhan
Author(s): Kanakprabhashreeji
Publisher: Kanakprabhashreeji
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जनपद की राजधानी थी। इस नगरी पर आक्रमण बहुत हुए, इस कारण चित्रांगद नामक मौर्य शासक ने माध्यमिका के निकट चित्तौड़ को राजधानी बनाकर विकसित किया। चित्तौड़ चित्रपुर का ही अपभ्रंश रूप
. पं. सुखलाल संघवी के अनुसार हरिभद्र का जन्म स्थान मूल रूप से चित्तौड़ न हो, तो भी चित्तौड़ अथवा माध्यमिका नगरी में से किसी एक स्थान के साथ हरिभद्र का निकट सम्बन्ध होना चाहिए। इस प्रकार विचार करने पर सिद्ध होता है कि हरिभद्र का जन्म-स्थान मालव राजस्थान एवं गुजरात का संधिस्थल रहा है।
हरिभद्र के माता-पिता
आचार्य भद्रेश्वर द्वारा रचित कहावली के अनुसार इनके पिता का नाम शंकरभट्ट और माता का नाम गंगा प्राप्त होता है। अन्य ग्रन्थों में कहीं भी माता-पिता के नाम का उल्लेख प्राप्त नहीं होता है।
___उनका ब्राह्मण होना ‘भट्ट' शब्द से भी ज्ञात होता है। ब्रह्मपुरी का निवासी होने से भी उनके ब्राह्मण होने की पुष्टि होती है।
गणधर सार्द्धशतक की सुमतिगणिकृत कृति में हरिभद्र का ब्राह्मण के रूप में स्पष्ट निर्देश मिलता है। प्रभावक चरित्र में उन्हें राजा का पुरोहित बताया गया है।' इससे यह निश्चित होता है कि वे ब्राह्मण थे, क्योंकि पुरोहित का कार्य ब्राह्मण ही करते थे। धर्म और दर्शन के सन्दर्भ में उनकी प्रज्ञा-प्रतिभा, ज्ञानगाम्भीर्य से भी इस बात की पुष्टि हो रही है कि उनका जन्म ब्राह्मण-कुल में ही हुआ है। इन सभी प्रमाणों से हरिभद्र के ब्राह्मण होने की पुष्टि होती है। अध्ययन-अध्यापन - आचार्य हरिभद्र ने बाल्यकाल में अध्ययन कब, कहाँ और किससे किया-इस विषय में कहीं भी कोई उल्लेख प्राप्त नहीं है, परन्तु अनुमान है कि ब्राह्मण-कुल में जन्म होने के कारण ब्राह्मणपरम्परानुसार यज्ञोपवीत-संस्कार के पश्चात् ही उनका विद्याभ्यास प्रारम्भ हुआ होगा तथा प्राचीन परम्परानुसार गुरूकुल में रहकर ही किन्हीं कुलाचार्य के सान्निध्य में उन्होंने विद्याभ्यास किया होगा। ब्राह्मण परम्परानुसार उनका अध्ययन वेद, वेदांग तथा ज्योतष एवं संस्कृत-भाषा का हुआ होगा।
4 समदर्शी आचार्य हरिभद्र, सम्पादक-जिनविजय मुनि, पृ. 6-7 5 समदर्शी आचार्य हरिभद्र, सम्पादक-जिनविजय मुनि, पृ. 7 6 समदर्शी आचार्य हरिभद्र, सम्पादक-जिनविजय मुनि, पृ.7 7 समदर्शी आचार्य हरिभद्र, सम्पादक-जिनविजय मुनि, पृ. 7
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