Book Title: Nyayasindhu Author(s): Nemisuri, Kirtitrai Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi AhmedabadPage 28
________________ ।। ओँ अहँ नमः ।। ॥ परमकारुणिकगीतार्थत्वादिगुणोपेतनिजचरणविद्याप्रतिभातिशयादिगुणसंस्मारितातीतयुगप्रधान गुरुवर्यश्रीवृद्धिचन्द्रापरनामश्रीवृद्धिविजयसद्गुरुभ्यो नमः ॥ भव्यभव्यानुग्रहविहितानेकग्रन्थसन्दर्भसकलसूरिसार्वभौमशासनसम्राट् तपोगच्छाचार्यभट्टारकश्रीविजयनेमिसूरिसन्दृब्धः ॥ श्रीन्यायसिन्धुः ॥ मङ्गलाचरणम् (मालिनीवृत्तम्) जयति ऋषभदेवो वुद्धतत्त्वप्रबन्धः, प्रथित इह जिनानामाद्यतीर्थप्रवक्ता ।। क्षपितनिखिलकर्मावाप्तशुद्धस्वरूपो, विभुरपि मितमाने सिद्धिदेशे य आस्ते ।।१।। (स्रग्धरावृत्तम्) गर्वाकूपारवादिप्रथितनिजमताकूतविध्वंसलीलासधीचीनस्वपक्षप्रथनपरवचोविस्मिताखण्डलादिः । नेताऽस्मान् पातु वीरो मितनयनिलयो विश्वमाङ्गल्यकर्ता, जन्मिवाताभिपूज्यो जयति जिनवरो योऽन्तिमस्तीर्थकर्ता ।।२।। (शार्दूलविक्रीडितम्) प्रोद्यत्तत्त्वविवोधबीजविदलन्मिथ्याधरोत्थाङ्कुरप्रोत्सर्पज्जिनभक्तिसन्ततिलता जातोपदेशाम्बुतः । यस्याऽशेषनयाम्वुधेर्मुनिवरस्योद्दामधामौकसः, श्रीचन्द्रोत्तरवृद्धिनामविदितः स्यान्मङ्गलायाऽत्र सः ।।३।। ग्रन्थकभिधेयादिसूचनम् (स्रग्धरावृत्तम्) सिद्धान्ताम्भोनिवासं प्रवलपरझषोद्वेगकारिप्रवाहं, मानात्यक्तप्रयोगं सुनयतरिमिलत्स्फीतभङ्गीविलासम् । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158