Book Title: Nayvimarsh Dwatrinshika
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir

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Page 16
________________ विषय अनुक्रमणिका १. मंगलाचरणं विषयश्च २. नयनामदर्शनम् ३. वस्तूनामुभयात्मक रूपम् ४. सामान्य- विशेषयोरुदाहरणद्वारा भेददर्शनम् ५. नैगमनयस्वरूपम् ६. संग्रहनयस्वरूपम् ७. संग्रहनयस्य दृष्टान्तद्वारा स्पष्टीकरणम् ८. व्यवहारनयस्वरूपदर्शनम् ६. व्यवहारनयस्य स्पष्टीकरणम् १०. ऋजुसूत्रनयस्वरूपम् ११. ऋजुसूत्रनयस्य स्पष्टीकरणम् १२. ऋजुसूत्रनयोऽग्रेतनाश्च केवलं भावं मन्यन्ते १३. शब्दनयस्वरूपम् --- पन्द्रह -- पृष्ठ संख्या ov ܡ ५ ११ १३ १६ १६ २१ २३ २८ ३१ ३३ ३६

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