Book Title: Nayvimarsh Dwatrinshika
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir

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Page 49
________________ का उल्लेख करना पड़ेगा। जैसे त्रिफला, हरड़, आमलक, सुदर्शनचूर्ण, स्वर्णभस्म इत्यादि नाम का उल्लेख करने पर ही तद्गुणधारक औषधि (दवा) विशेष को हम प्राप्त कर सकते हैं । मात्र (सामान्य) 'औषधि देना' कहने से कभी त्रिफला, हरड़, आँवला, सुदर्शनचूर्ण, स्वर्णभस्म इत्यादि हमें प्राप्त नहीं होगा। इस प्रकार के अवसर हमें नित्य लोकव्यवहार में प्राप्त होते रहते हैं, इसकी सिद्धि के लिये विशेष ही सशक्त है, सामान्य नहीं ।।१०।। [ ११ ] ऋजुसूत्रनयस्वरूपम् [ उपजातिवृत्तम् ] भूत भविष्यद् दिप्रकारवरतु, तर्यो नयो वे ऋजुसूत्र नामा । न वेत्ति किन्त्वत्र प्रवत्तमानं, जानाति यत् संप्रति वतमानम् ॥99॥ अन्वय : ___'भूतं भविष्यद् द्विप्रकारवस्तु, वै तुर्यः नयः ऋजुसूत्रनामा न वेत्ति किन्तु अत्र प्रवर्तमानं संप्रति यत् वर्तमान (तत्) एव जानाति ।' इत्यन्वयः । नयविमर्शद्वात्रिशिका-२८

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